जीरे और इलायची में मंदी के संकेत - एसएमसी

हल्दी वायदा (नवंबर) में शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) को 6,200 रुपये के नजदीक बाधा का सामना करना पड़ सकता है।

हाजिर बाजारों में बिक्री के लिए हल्दी की आवक बढ़ रही है और कीमतों में गिरावट का रुझान है। दो दिनों तक कम आवक के बाद अब बढ़ोतरी हुई है। लगभग 1,500 बैग हल्दी की आवक हुई है, जिसमें से 60% हल्दी की बिक्री हो चुकी है। इसलिए कल सभी बाजारों में फिंगर और रूट दोनों वेराइटी की हल्दी की कीमतों में 150-200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है।
जीरा वायदा (नवंबर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 16,280-16,550 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करती रह सकती हैं। प्रमुख बाजार ऊंझा में सुस्त कारोबार के कारण जीरे की कीमतों में नरमी देखी जा रही है। लेकिन राजकोट में जीरे की कीमतों में स्थिरता है। ऊंझा में 8,000 बैग और राजकोट में 500 बैग जीरे की आवक हो रही है। कारोबारियों के अनुसार बाजार में खरीदार और विक्रेता दोनों ही काफी कम है। निर्यात माँग भी नहीं है। केवल छिटपुट स्थानीय माँग के आधार पर ही कारोबार हो रहा है।
धनिया वायदा (नवंबर) कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 6,900-7,000 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। इस वर्ष कम उत्पादन और कम होते स्टॉक के बीच जोरदार माँग के कारण कीमतों में तेजी का सेंटीमेंट है।
इलायची वायदा (नवंबर) कीमतों 2,380-2,350 रुपये तक गिरावट हो सकती है। ऊंची पहाड़ियों पर अनुकूल मौसम के बाद उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना से ऑक्सन केन्द्रों पर आवक में बढ़ोतरी हो सकती है। अधिकांश कारोबारी मौजूदा अधिक कीमतों पर खरीदारी करना नहीं चाहते हैं और अधिक आवक के कारण कीमतों में गिरावट होने का इंतजार कर रहे हैं। (शेयर मंथन, 01 नवंबर 2019)