कॉटन वायदा (नवम्बर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 19,800-20,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
चालू वर्ष 2020-21 में भारत में कपास का उत्पादन लगभग 4 लाख बेल (170 किलोग्राम का) घटकर 356 लाख बेल होने की संभावना है, जबकि पिछले साल 360 लाख बेल उत्पादन हुआ था। कुछ उत्पादन क्षेत्रों में अधिक बारिश और गुलाबी बालवॉर्म संक्रमण के कारण फसल नुकसान के कारण उत्पादन में कमी हुई है। भारत में कपास की कीमतें 38,700-40,200 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम का एक कैंडी) के दायरे में कारोबार कर रही हैं, जो निर्यात बाजारों के लिए अनुकूल माना जाता है, जो न्यूयॉर्क कपास बाजार में लगभग 70 सेंट प्रति पाउंड से अधिक पर कारोबार कर रही हैं।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 5,160-5,200 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कारोबारी कीमतों की दिशा को समझने के लिए नेफेड द्वारा निविदाओं को खारिज या मंजूरी पर नजर रख रहे हैं। राजस्थान कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष राज्य में 3 नवंबर, 2020 तक चना की बुआई लगभग 52% अधिक हुई है जबकि जलाशयों में पर्याप्त जल की उपलब्धता गुजरात में दलहन की बुआई भी बेहतर ढंग से शुरू हुई है। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के रुझान पर ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतें 4,150 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतें 6,360 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है। राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतें फिसल गयी है। ग्वारसीड में की कीमतों में 100 रुपये और ग्वारगम की कीमतों में 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है। व्यापारियों ने कहा कि खराब माँग और ग्वारसीड की भारी आपूर्ति से बाजार का सेंटीमेंट कमजोर हुआ है। ग्वारगम की खपत में कमी के परिणामस्वरूप स्टॉक में वृद्धि हुई है। ग्वारगम का केवल कारोबार किसा जा रहा है, मिलों की ओर से माँग नही हो रही है। (शेयर मंथन, 11 नवंबर 2020)