2 महीने तक सीमित दायरे में कारोबार के बाद कल नयी खरीदारी के कारण हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों में कल 6% की उछाल दर्ज की गयी है।
अब कीमतें 7,600 रुपये के सहारा के साथ 7,900 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। लेकिन तेलंगाना में कम उत्पादन क्षेत्र और दक्षिण भारत में लगातार बारिश के कारण हल्दी का उत्पादन अनुमान से कम होने की आशंका से कीमतों को मदद मिल रही है। निर्यात माँग बेहतर रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में, निर्यात पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन हो गया, लेकिन अभी भी 5 साल के औसत के बराबर है।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में कल दो वर्षो के उच्च स्तर से गिरावट हुई है क्योंकि गुजरात और राजस्थान में जीरे की बुआई में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कीमतें 16,550 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 15,800 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। 22 नवंबर तक, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 63,144 हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल इसी समय 1.68 लाख हेक्टेयर था जबकि राजस्थान में 1.75 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है। घरेलू और निर्यात दोनों मोर्चे से माँग बढ़ी है और आगे भी बढ़ने की उम्मीद है। इस सीजन में सीरिया और तुर्की में खराब मौसम के कारण के कारण जीरा का उत्पादन कम हुआ है, जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ गयी है। फिर भी अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 14% घटकर 1.39 लाख टन रह गया है, लेकिन आगामी महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतें कल 1.6% की बढ़त के साथ बंद हुई। अब कीमतें तेजी के रुझान के साथ 8,580-8,850 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। अच्छी माँग और कम आवक के बीच कोटा में धनिया की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 28,000 टन की तुलना में 12.7% घटकर 24,500 टन रह गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में देर से हुई मानसूनी बारिश से आने वाले सीजन में धनिया की फसल का अच्छा रकबा देखने को मिलेगा। (शेयर मंथन, 23 नवंबर 2021)