कम आवक और निर्यात माँग बेहतर रहने के कारण हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में कल 4% की उछाल दर्ज की गयी है।
अब कीमतों के 8,690 के सहारा के साथ 9,100 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। स्टॉकिस्ट बाजारों में काफी सक्रिय है। निर्यात माँग बेहतर रहने की उम्मीद है। वर्तमान में कीमतें इस वर्ष में वर्ष-दर-वर्ष 41% अधिक हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में, पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन निर्यात हुआ है, लेकिन अभी भी 5 साल के औसत के बराबर है।
जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतों में लगातार तीसरे दिन 0.5% की बढ़ोतरी हुई है। कीमतें 16,165 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 16,700 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। बाजारों में जीरे की माँग बढ़ रही है जबकि बुआई में प्रगति को लेकर चिंता अभी तक बरकरार है। 06 दिसम्बर तक, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 2.38 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल इसी समय 3.81 लाख हेक्टेयर था जबकि राजस्थान में 4.66 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है। घरेलू और निर्यात दोनों मोर्चे से माँग बढ़ी है और आगे भी बढ़ने की उम्मीद है। अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 14% घटकर 1.39 लाख टन रह गया है, लेकिन आगामी महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है।
निचले स्तर पर खरीदारी के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतें कल 1.2% की उछाल के साथ बंद हुई। अब कीमतें 8,630 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 9,000 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में धनिया की बुआई प्रगति पर है। 06 दिसम्बर तक, धनिया का रकबा केवल 1,08,923 हेक्टेयर है, जो सामान्य उत्पादन क्षेत्र का 126% अधिक है। अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 28,000 टन की तुलना में 12.7% घटकर 24,500 टन रह गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 08 दिसंबर 2021)