जीरे में गिरावट, हल्दी की कीमतों में 9,700-10,350 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना - एसएमसी

बाजारों में नयी सीजन की आवक के बीच बढ़ती माँग के कारण हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें शुक्रवार को 1.7% की गिरावट के साथ बंद हुई और कीमतों के 9,700-10,350 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।

दक्षिण भारत के बाजारों में नयी की आवक होने के कारण हाल ही में कीमतों में गिरावट हुई है। वर्तमान समय में देश में कम उत्पादन की उम्मीद पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 57% अधिक है। दस वर्ष 2021-22 के पहले 8 महीनों (अप्रैल-नवम्बर) में पिछले साल के 22% पटकर 102.126 टन निर्यात हुआ है। लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 7.2% अधिक है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतें शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुई। अब कीमतों के 19,000-19,750 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। वर्तमान समय में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 43% अधिक है। कृषि विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 17 जनवरी तक गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल समान अवधि में 460 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 5.30 लाख हेक्टर में जौरा को बुआई हुई है। दूसरे आग्रम अनुमान के अनुसार जीरे का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 41% घटकर 237 लाख टन रहने की उम्मीद है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर में जीरा का नियत वर्ष-दर-वर्ष 17% घटकर 1.50 लाख टन रह गया है, जो वर्ष 182 लाख टन हुआ था धनिया (अप्रैल) की कीमते शुक्रवार को 15 की गिरावट के साथ हुई और कीमतों के 10,130-10,550 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। सामान्य की तुलना में कम रकबे और उत्तर भारत में शीतलहर के कारण उत्पादन में कमी की आशंका से वर्तमान में कीमत वर्ष-दर-वर्ष 65.5% अधिक है और जनवरी 2022 में 165% अधिक है।
24 जनवरी 2022 तक गुजरात में धनिया कारवाया 25,444 हेक्टेयर है, जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 145% है, लेकिन पिछले साल के 1,20,400 हेक्टेयर से कम है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 33,000 टन से 127 फीसदी घटकर 28.800 टन हुआ है। लेकिन के औसत की तुलना में 86% अधिक है। (शेयर मंथन, 31 जनवरी 2022)