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अगली छमाही से दिखेगी सेंसेक्स आय में वृद्धि : प्रदीप गुप्ता

pradeep gupta anand rathi securutiesआनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज के वाइस चेयरमैन प्रदीप गुप्ता का मानना है कि मौजूदा कारोबारी वर्ष में बाजार जमने या ठहराव (कंसोलिडेशन) के दौर से गुजरेगा, हालाँकि इसकी दूसरी छमाही से कंपनियों की आय में सुधार नजर आने लगेगा। 

शेयर मंथन के संपादक राजीव रंजन झा से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार ने बुनियादी ढाँचा, खास कर रेलवे, सड़क, बिजली वगैरह और रक्षा क्षेत्र में जो कदम उठाये हैं, उनका असर आगे विकास दर पर नजर आना शुरू होगा। बैंकिंग क्षेत्र में भी वे निवेश के अच्छे अवसर देख रहे हैं।  प्रस्तुत हैं प्रदीप गुप्ता के विचार...

मेरा विश्वास है कि इस साल की दूसरी छमाही में अच्छे नतीजे आने शुरू होंगे। लंबी अवधि के लिए, 2-3 साल के नजरिये से बाजार बहुत अच्छा है। इस बाजार में निवेशक को जरूर निवेश करना चाहिए। अगर निर्यात आधारित क्षेत्रों की बात करें तो विश्व अर्थव्यवस्था मोटे तौर पर अब भी जूझ रही है। अलग-अलग देशों की अर्थव्यवस्थाएँ अलग-अलग चरणों में हैं। लेकिन आंतरिक रूप से देखें तो जिस तरह से काम शुरू हुआ है, उससे लगता है कि आगे वृद्धि नजर आयेगी। इसलिए मुझे 6.8% या 7% विकास दर हासिल होने के बारे में कोई संदेह नहीं है।

सेंसेक्स कंपनियों की आय में सुधार
सेंसेक्स से संबंधित कंपनियों की आय में अभी वृद्धि नजर नहीं आयी है, हालाँकि मुनाफे को वे सँभाल रही हैं। कुछ के सामने चुनौतियाँ जरूर हैं। इन कंपनियों की वृद्धि में सुधार इस साल से आना शुरू होगा। चूँकि बाकी अर्थव्यवस्था और कंपनियों के सामने संघर्ष की स्थिति थी, इसलिए सरकार ने बुनियादी ढाँचा के क्षेत्र में प्रभावी कदम उठाये हैं। सबसे ज्यादा कदम रेलवे, सड़क, रक्षा और बिजली जैसे क्षेत्रों में उठाये गये हैं। इन क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि देखने को मिल रही है। दूसरी ओर कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और लघु उद्योगों को बढ़ावा देने पर सरकार ने काफी ध्यान दिया है।

कौन-से क्षेत्र करेंगे अच्छा प्रदर्शन?
कृषि क्षेत्र में वृद्धि से माँग में काफी सुधार होगा। साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत कर्मचारियों को मिलने वाले एकमुश्त पैसे का असर भी होगा। उस पैसे का भी भुगतान अब होने वाला है। जब लोगों के हाथों में पैसे आयेंगे तो उससे खपत आधारित माँग बढ़ेगी। लिहाजा खपत आधारित क्षेत्रों में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।
इसलिए मैं खपत आधारित क्षेत्रों को निवेश के लिए पसंद करूँगा। इसके बाद बुनियादी ढाँचा और बिजली पर नजर रहेगी। बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों को पिछले समय में काफी झटके लगे थे। धीरे-धीरे, सुधारों के हिसाब से और सरकारी समर्थन के मद्देनजर भी इनको देखा जा सकता है। सरकार इनमें नयी पूँजी डालने की बात कर रही है। चुनिंदा सरकारी बैंकों और कुछ निजी बैंकों में काफी अच्छी बढ़त देखने को मिल सकती है।
बैंकिंग शेयर अपने हाल के निचले स्तरों से जरूर काफी सँभल गये हैं, इसलिए अगले छह महीनों की बात मैं नहीं कर सकता। लेकिन अगले दो-तीन साल के अनुमान देखें तो बिल्कुल अच्छी बढ़त की संभावना मिलेगी। हाल में जो निचले स्तर दिखे, वे तो बिल्कुल घबराहट वाली स्थिति में बनी तलहटियाँ (पैनिक बॉटम) थीं। बिल्कुल समझदार निवेशक ही वैसे स्तरों पर ले पाये। उसका फायदा हमेशा बुद्धिमान निवेशक ही लेते हैं। अभी भी यहाँ से 25-30% की बढ़त इन क्षेत्रों के शेयरों में एक-डेढ़ साल में आ सकती है। मगर क्षेत्रों पर ही ज्यादा ध्यान देने के बदले अब जरूरी है कि हम चुनिंदा शेयरों की बात करें। अगर अर्थव्यवस्था में क्रमशः सुधार आने की उम्मीद है तो यह देखना चाहिए कि कौन-सी चीज सस्ते में उपलब्ध है।

बिजली क्षेत्र में हुए साहसिक सुधार
बिजली क्षेत्र में सरकार ने साहसिक तरीके से एक बड़ा सुधार किया है। सरकार हर गाँव तक बिजली पहुँचाने की ओर बढ़ रही है। बिजली की किल्लत 2020 तक खत्म करने की बात है। मुझे लगता है कि इस क्षेत्र में 2017-2018 तक एक अच्छा बदलाव दिखने लगेगा। सौर ऊर्जा पर सरकार के जोर को देखते हुए इसमें वृद्धि दर ज्यादा रहने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय कंपनियों को इसका फायदा मिल सकता है। हालाँकि निवेश के लिए इन सब कंपनियों की समीक्षा करनी होगी कि आज वे किस मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं और उनकी संभावित वृद्धि के मद्देनजर मूल्यांकन कैसा है। हो सकता है कि इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियाँ पहले से ही अधिक मूल्यांकन पर आ चुकी हों, क्योंकि सौर ऊर्जा से जुड़ी उम्मीदें जानकार तबके में पहले से रही हैं। इसलिए हमें चुनिंदा शेयरों पर ध्यान देना होगा। पर हमें सौर ऊर्जा और मोटे तौर पर बिजली क्षेत्र में निवेश के अच्छे मौके मिल सकते हैं। सवाल यह है कि कम ऋण वाली कौन सी कंपनियाँ हैं और उनकी वृद्धि दर के मुकाबले मौजूदा मूल्यांकन कितना है। बैंकिंग में तो काफी सारे अच्छे विकल्प मिल सकते हैं।

इस साल सेंसेक्स-निफ्टी में ठहराव (कंसोलिडेशन)
पूरे बाजार की बात करें तो अगले छह महीने साल भर में सेंसेक्स या निफ्टी के स्तर पर मैं बहुत ज्यादा वृद्धि की उम्मीद नहीं कर रहा हूँ। यह एक क्रमिक प्रक्रिया है। इसमें आप भविष्य को ध्यान में रख कर उम्मीदें बनाते हैं। जब तक उस भविष्य को मैं वर्तमान में न देखने लगूँ, तब तक मैं उसके आधार पर भाव नहीं दे सकता। वर्तमान ठीक होने में अभी भी मुझे लगता है कि छह महीने का समय लगेगा। छह महीने बाद आप यह देख सकते हैं कि कुछ सुधार आना शुरू होगा।
लेकिन मार्च 2017 तक बाजार ठहराव (कंसोलिडेशन) के दौर में रहेगा। मार्च 2017 तक निफ्टी का 8500-9000 के स्तरों तक जाना बहुत मुश्किल बात नहीं होगी। लेकिन उससे ऊपर की बात करें तो अगला साल (2017-18) सेंसेक्स और निफ्टी के स्तरों के लिहाज से कहीं ज्यादा बेहतर साल रहने की उम्मीद है। लेकिन उसके अंदर जा कर अगर चुनिंदा शेयरों पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो आपको कहीं अच्छा लाभ देने वाली कहानियाँ मिलेंगी जिनमें 20-25% तक का लाभ मिल सकेगा।
नीचे की ओर अभी भी कुछ लोग 6200-6500 और 7000 की बातें करते हैं। मेरा यह मानना है कि अब निफ्टी का 7,000 के नीचे जाना बड़ा मुश्किल होगा। मेरे हिसाब से 6,800-7,000 अब घबराहट वाली तलहटी होगी। उसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है, क्योंकि विश्व में किसी भी बड़ी घटना या भावनाओं के कारण अचानक किसी तीखी गिरावट में इन स्तरों का दिख जाना अलग बात है। लेकिन बाजार का लगातार 7,000 के नीचे बने रहना काफी मुश्किल होगा।
अभी भी मुझे लाभ जोखिम अनुपात लाभ के पक्ष में दिखता है। आप नीचे की ओर तब देखें, जब लाख जोखिम अनुपात पक्ष में नहीं हो। हम तमाम सकारात्मक बातें देख रहे हैं। हम विकास दर तेज होने की उम्मीद कर रहे हैं। महँगाई दर को हम नीचे देख रहे हैं। आने वाले समय में कंपनियों की आय सुधरती देख रहे हैं। वैश्विक स्तर पर भी अर्थव्यवस्थाओं में क्रमशः सुधार आने की बात कर रहे हैं, या कम-से-कम खराब होने की बात नहीं कर रहे हैं। ये सारी चीजें बताती हैं कि यहाँ से स्थितियाँ सुधरेंगी। खास तौर पर उभरते बाजारों में और उसमें खास कर भारत में आंतरिक विकास और आंतरिक खपत के कारण विकास दर बेहतर रहेगी।
मैं चुनिंदा शेयरों के बारे में ज्यादा बात नहीं कर रहा, पर लंबी अवधि के नजरिये से एलऐंडटी और एसबीआई हमेशा मुझे पसंद रहे हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा भी मुझे हमेशा पसंद रहा है। टाटा मोटर्स एक और अच्छी कहानी है। प्रदीप गुप्ता, वाइस चेयरमैन, आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज (Pradeep Gupta, Vice Chairman, Anand Rathi Financial Services)

(शेयर मंथन, 25 अप्रैल 2016)

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