3 साल में 50,000 का सेंसेक्स : गौरव दुआ (Gaurav Dua)

gaurav duaब्रोकिंग फर्म शेयरखान (Share Khan) के रिसर्च प्रमुख गौरव दुआ (Gaurav Dua) का मानना है कि कंपनियों की आय में सुधार का दौर शुरू हो चुका है और मूल्यांकन स्थिर रहने पर भी अगले 3 वर्षों में सेंसेक्स 45,000 से 50,000 के स्तरों तक पहुँच सकता है। गौरव दुआ के साथ राजीव रंजन झा (Rajeev Ranjan Jha) की बातचीत।

- अभी ऐसा लग रहा है कि बाजार थोड़ा अटक रहा है और यहाँ से ऊपर जाने में हिचक रहा है। आपको अभी बाजार की दिशा किधर लग रही है?
पिछले चार महीनों में बाजार में एक अच्छी तेजी आयी है। निफ्टी 6,800 के पास की तलहटी बना कर 8,700 के पास आ गया है। इतनी तेजी के बाद स्वाभाविक है कि बाजार एक बार ठहर सकता है। खास कर मँझोले और छोटे शेयरों में कुछ क्षेत्रों में अंधाधुंध तेजी आयी है। इसलिए बाजार का ठहरना स्वाभाविक बात है। लेकिन ऊपरी रुझान की संभावना है यहाँ से भी। ब्याज दरें कम हैं। नकदी उपलब्धता (लिक्विडिटी) बहुत अच्छी है - घरेलू बाजार में भी और विदेशों में भी। कंपनियों की आमदनी में सुधार आ रहा है। नीतिगत मोर्चे पर भी अच्छी खबरें आ रही हैं। जो महत्वपूर्ण विधेयक थे, उनमें प्रगति हुई है। इसलिए मेरा मानना है कि कुल मिला कर बाजार में ऊपरी रुझान रहना चाहिए।
- अगर यह ऊपरी रुझान बना रहता है तो आगे एक बड़ा लक्ष्य आप क्या देखते हैं अगले छह महीने या साल भर में?
हम लोग बाजार या सूचकांक का छोटी अवधि का लक्ष्य नहीं रखते हैं। अगले तीन वर्षों के लिए सेंसेक्स का हमारा लक्ष्य लगभग 50,000 का है। यह लक्ष्य इस बात पर आधारित है कि यहाँ से कंपनियों की आय में सुधार होना शुरू हो जायेगा और 2018-19 तक सेंसेक्स की प्रति शेयर आय (ईपीएस) करीब 50-60% बढ़ जायेगी। इस आधार पर सेंसेक्स 45,000 से 50,000 का हो सकता है। इस तरह आपको साल-दर-साल 18-20% का प्रतिफल (रिटर्न) मिलेगा, जो एक अच्छा प्रतिफल है।
- आप अपने इस आकलन में मूल्यांकन का हिसाब क्या रख रहे हैं?
हमारा मानना है कि कंपनियों की आय में 15-18% की दर से वृद्धि होगी। अगर मूल्य-आय अनुपात (पीई रेश्यो) स्थिर भी रहा तो भी सेंसेक्स का भाव इतना आ जाना चाहिए। सेंसेक्स ईपीएस तीन साल में 60% बढ़ने का मतलब है कि सालाना आधार पर इसमें 15-16% की वृद्धि आनी चाहिए।
- इसका फायदा उठाने के लिए निवेश के लायक सबसे अच्छे नाम कौन-से लगते हैं?
मैं आपको चुनिंदा नाम बताने के बदले ऐसे क्षेत्र बताऊँगा, जहाँ निवेश करना चाहिए। अगले तीन साल तक खपत (कंजंप्शन) आधारित कंपनियों के शेयरों में तेजी रहेगी। जैसे अनुमान आ रहे हैं, अगले दो-तीन साल मॉनसून अच्छे रहेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जो दबाव था, वहाँ सुधार आयेगा। शहरी क्षेत्रों में भी वेतन-वृद्धि और कंपनियों की आय बेहतर होने से वहाँ लोगों की आय में जो सुधार आयेगा, उसका भी असर होगा शहरी माँग पर।
इससे निजी बैंक, एनबीएफसी, मीडिया, उपभोक्ता कंपनियाँ, टिकाऊ (ड्यूरेबल) उपभोक्ता वस्तु जैसे क्षेत्रों में ज्यादातर शेयर अच्छा करेंगे। इसलिए आपको इन क्षेत्रों में रहना चाहिए। जो निवेश चक्र से चलने वाले शेयर हैं, उनमें आपको कम पैसा रखना चाहिए। इनमें आपको बहुत सावधान रहना पड़ेगा।
- मुख्य सूचकांकों में बैंकिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग एक तिहाई है। क्या बैंकिंग क्षेत्र में चाल आये बिना सेंसेक्स आपके बड़े लक्ष्य की ओर जा पायेगा?
बैंकिंग अच्छा करता रहा है। लेकिन इस क्षेत्र में एक हिस्से - निजी बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। हमारा मानना है कि यह हिस्सा अच्छा प्रदर्शन करता रहेगा। अभी यह काफी तेज भागा है तो उसमें कुछ ठहराव आ सकता है या छोटी गिरावट (पुलबैक) भी आ सकती है। पर यह क्षेत्र अच्छा ही रहेगा।
सरकारी बैंकों की बात करें तो वहाँ अब भी कुछ मुद्दे हैं। एक साल से यह बात हो रही है कि उनमें तलहटी बन गयी है और जो भी सबसे बुरा था वह हो गया है। पर हमने यही देखा है कि अभी भी वहाँ तकलीफ बाकी है। बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक वगैरह के जैसे आँकड़े आये हैं, उनसे यही संकेत मिलता है कि शायद अगले एक साल तक भी इनमें तकलीफ बनी रहेगी। उसके चलते वहाँ कमजोरी रहेगी।
- पहली तिमाही के नतीजों के आधार पर कहाँ मूल्यांकन बढ़ने की उम्मीद लगती है?
पहली तिमाही में भी वैसे ही रुझान हैं, जैसे पहले थे। एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक वगैरह, और एनबीएफसी में कैपिटल फर्स्ट, बजाज फाइनेंस वगैरह सबके अच्छे आँकड़े आ रहे हैं, जबकि सरकारी बैंकों में अभी भी कमजोरी है। इंजीनियरिंग क्षेत्र अब भी कमजोर है। उपभोक्ता क्षेत्र में बिक्री की मात्रा थोड़ी सुधरनी शुरू हुई है। संकेत हैं कि यह और भी सुधरेगी।
आईटी के आँकड़े अच्छे नहीं रहेंगे इस बार। एचसीएल टेक के आँकड़े अच्छे आये थे, पर उन्होंने जो चौंकाने वाले नतीजे दिये हैं, वह आगे टिक पायेगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। दवा शेयरों में अभी भी कमजोरी है। ल्युपिन के आँकड़े अच्छे थे, वह हमें अच्छा भी लगता है। कैडिला फार्मा अच्छा कर रही है। ऑटो के आँकड़े कुल मिला कर अच्छे थे। इसमें सबकी बिक्री की मात्रा अच्छी बढ़ी है, चाहे वह हीरो मोटोकॉर्प हो, मारुति हो, ट्रैक्टर श्रेणी में एस्कॉर्ट्स हो, यह क्षेत्र अच्छा कर रहा है। इसके चलते ऑटो पुर्जा कंपनियाँ भी अच्छा कर रही हैं। इनमें रीको ऑटो, अपोलो टायर्स वगैरह के आँकड़े बहुत अच्छे थे। ये सब क्षेत्र अच्छा करते रहेंगे।
- पिछले दो सालों से यह देखा गया कि साल की शुरुआत में विश्लेषकों का जो अनुमान रहता था, बाद में उसे घटाना पड़ा क्योंकि आय सपाट रही या कुछ घट ही गयी। पर पिछले कारोबारी साल की चौथी तिमाही और इस साल की पहली तिमाही को देख कर क्या ऐसा लगता है कि वृद्धि के मौजूदा आकलन सही बैठेंगे?
पिछले दो साल में अच्छे आँकड़े नहीं आये। निफ्टी आय या सेंसेक्स आय सपाट रही या थोड़ी घटी, लेकिन आप उसका ध्यान से विश्लेषण करके अलग-अलग करें। अगर सरकारी बैंक, धातु (मेटल), तेल-गैस को हटा लें तो पिछले साल भी 7-8% वृद्धि हुई थी। पिछले दो वर्षों में जो आय वृद्धि नहीं होना इन चुनिंदा क्षेत्रों के अपने मुद्दों की वजह से था। सरकारी बैंकों में एनपीए का मुद्दा था। तेल-गैस और धातु में कीमतें टूटने का असर आया। यह सब निपट चुका है। तेल-गैस और धातु में बहुत निचले स्तरों पर भाव गये, उसके बाद उनमें उछाल आयी है और भाव कुछ स्थिर हो गये हैं। इनमें अब एक निचला आधार (लो बेस) बन गया है।
सरकारी बैंकों में तकलीफ है। पर वह तकलीफ भी इस साल कहीं-न-कहीं कम हो जायेगी। बाकी क्षेत्रों में 7-8% वृद्धि आ ही रही थी। उनमें इस साल से और सुधार ही दिखेगा। इन सबको ध्यान में रखें तो शेयर-आधारित (बॉटम अप) विश्लेषण करने पर भी दिखता है कि सेंसेक्स आय में इस साल से सुधार शुरू हो जायेगा।
अगर हम समग्र अर्थव्यवस्था को देखें, तो आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में जो कटौतियाँ हुई थीं, उनका फायदा अब तक ग्राहकों को नहीं मिला था। वह फायदा उनको मिलना अब काफी हद तक शुरू हो गया है। उद्योग जगत कम कीमतों पर पैसा उठा पा रहे हैं। दूसरे, बॉन्ड यील्ड में भी यह बात दिख रही है। बॉन्ड यील्ड सात साल के निचले स्तरों पर आ गये हैं। यह भी एक संकेत है कि ब्याज दरें नीचे आ गयी हैं। इसका असर भी इस साल से दिखाई देगा। (शेयर मंथन, 12 अगस्त 2016)