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किन वजहों से राजन रुक सकते हैं ब्याज दरें घटाने से : अविरल गुप्ता (Aviral Gupta)

केंद्रीय बैंक उपभोक्ता महंगाई दर को जनवरी 2015 तक 8% के अंदर और जनवरी 2016 तक 6% के अंदर सीमित रखना चाहता है।

लंबी अवधि में आरबीआई का लक्ष्य यह है कि उपभोक्ता महँगाई दर 4% के आसपास 2% के एक दायरे के अंदर बनी रहे। हाल में 12 नवंबर को जारी आँकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2014 में उपभोक्ता महँगाई दर 5.52% पर आ गयी, जो सितंबर 2014 में 6.46% थी। इस समय सरकार की ओर से आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर ब्याज दरों में कटौती के लिए भारी दबाव है और स्वयं वित्त मंत्री अरुण जेटली सोमवार को राजन से मुलाकात करने वाले हैं। लेकिन मेरा अनुमान है कि राजन कई कारणों से इस समय ब्याज दरों में कटौती नहीं करेंगे। 

उनकी नजर आधार प्रभाव (बेस इफेक्ट) पर होगी। अगर हम सरण गणना करें तो अक्टूबर के सीपीआई इंडेक्स के स्तर 145.20 को आने वाले महीनों में स्थिर मान लें, यानी इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हो, तो भी महँगाई दर नवंबर में 4.13%, दिसंबर में 5.22% और जनवरी में 5.72% होगी। साथ ही इस कारोबारी साल में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान औसत उपभोक्ता महँगाई दर 7.4 पर है। कृषि मंत्रालय ने अनाज, दालों और तिलहनों के लिए खरीफ का उत्पादन कम रहने का अनुमान जताया है। इससे आने वाले महीनों में महँगाई दर बढ़ने की आशंका होगी। 

हालाँकि कच्चे तेल की कीमतें हाल में 115 डॉलर के ऊँचे स्तर से घट कर अब 70 डॉलर पर आ गयी हैं, यानी लगभग 40% की कमी आ चुकी है। वहीं डॉलर का भाव 58.33 से बढ़ कर 62.03 रुपये पर पहुँचा है, यानी रुपये में लगभग 6% की कमजोरी आयी है। इसके चलते कच्चे तेल की कीमत में आयी गिरावट का कुछ फायदा कट गया है। आने वाले महीनों में डॉलर में और मजबूती आने की संभावना है, क्योंकि माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व कैलेंडर वर्ष 2015 की दूसरी छमाही में ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है। 

इस कारोबारी साल में 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों (जीसेक) पर यील्ड की दर लगातार घटती रही है। यह 1 अक्टूबर के 8.49% से घट कर 28 नवंबर को 8.087% रह गयी। जीसेक यील्ड में यह कमी बैंकिंग व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी और ब्याज दरों में कमी की संभावनाओं के चलते आयी है। लेकिन गिरते यील्ड के साथ अतिरिक्त नकदी का मतलब यह है कि आर्थिक परिवेश में सुधार के बावजूद कर्ज लेने वालों की संख्या कम है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बने उत्साह के बावजूद यह स्थिति है। ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई ब्याज दरों में कटौती होने से कर्ज की माँग बढ़ जायेगी? अविरल गुप्ता, संस्थापक और निवेश रणनीतिकार, मिंट एडवाइजर्स (Aviral Gupta, Founder & Investment Strategist, Mynte Advisors)

(शेयर मंथन, 30 नवंबर 2014)

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