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क्या 27,000 तक जाने के बाद फिर पलटेगा सेंसेक्स (Sensex)?

राजीव रंजन झा : मई के चुनावी नतीजों और मोदी सरकार के गठन के बाद 'निवेश मंथन' के जून 2014 के अंक में जो मध्यवर्ती लक्ष्य बताये गये थे, वे केवल दो महीनों में ही हकीकत बन चुके हैं।

मैंने जून अंक के राग बाजारी में लिखा था कि “अगर हम साल 2008 के शिखर 21,207 से साल 2008 की ही तलहटी 7,697 तक की गिरावट की वापसी की संरचना देखें तो 100% वापसी पूरी होने के बाद 138.2% वापसी का स्तर 26,367 पर और फिर 161.8% वापसी का स्तर 29,556 का है।” हाल में 19 अगस्त को सेंसेक्स (Sensex) ने 26,531 का ऊपरी स्तर छुआ। इस तरह 138.2% के स्तर का लक्ष्य पूरा हो चुका है।

इसी तरह निफ्टी (Nifty) के बारे में मैंने लिखा था कि “साल 2008 के शिखर 6,357 से उस साल की तलहटी 2,253 की 100% वापसी पूरी करने के बाद 138.2% वापसी का स्तर 7,924 पर और 161.8% वापसी का स्तर 8,893 पर है।” निफ्टी ने भी 22 अगस्त को 7,929 का ऊपरी स्तर छुआ है, यानी 138.2% के स्तर का लक्ष्य पा लिया है।

अब यहाँ से बाजार का रुझान क्या रहेगा? क्या यह बिना किसी खास अड़चन के अभी आगे ही बढ़ता जायेगा या कहीं पर मुनाफावसूली के दबाव में कुछ नरम होगा? दरअसल दैनिक और साप्ताहिक चार्ट पर अपने महत्वपूर्ण मूविंग एवरेज स्तरों से ऊपर की ओर काफी दूर निकल आने के कारण यह अंदेशा बनता है कि बाजार कहीँ अटक न जाये। लेकिन यह अंदेशा तो जून के आरंभ में भी दिख रहा था और वहाँ से भी बाजार अच्छी-खासी तेजी दर्ज कर चुका है। इसलिए बाजार में एक तकनीकी सुधार के लिए नरमी आने की जरूरत तो दिख रही है, लेकिन यह तकनीकी सुधार कब होगा इसकी भविष्यवाणी करना बड़ा मुश्किल है।

मैंने जून अंक में ही सेंसेक्स के साप्ताहिक चार्ट के बारे में कहा था कि “इस साल मार्च में सेंसेक्स ने 20 हफ्तों के एसएमए को जब पार किया, उसके बाद से यह लगातार तेजी में है। लेकिन अब सेंसेक्स 20 हफ्तों के एसएमए से काफी ऊपर आ गया है। आम तौर पर जब फासला इतना बढ़ जाता है तो भाव अपने औसत के करीब आने का बहाना ढूँढ़ता है। इसके लिए यह या तो एक दायरे के अंदर ही समय बिताने लगता है, या फिर गिरावट का रास्ता चुनता है।”

उस समय से अब तक बाजार ने मजबूती का रुझान तो बनाये रखा है, लेकिन 20 हफ्तों के एसएमए से इसकी दूरी कुछ कम भी हुई है। सेंसेक्स के 30 मई के बंद स्तर 24,217 की तुलना में उस समय 20 हफ्तों का एसएमए 22,092 पर था, यानी 2,125 अंक नीचे। अभी 22 अगस्त के बंद स्तर 26,420 के मुकाबले 20 हफ्तों का एसएमए 17,55 अंक नीचे 24,665 पर है। इसका कारण यह है कि फरवरी-मई 2014 के दौरान बाजार जिस तेज रफ्तार से चढ़ा था, उसकी तुलना में जून से अब तक चाल ऊपर की ओर रहने के बावजूद थोड़े धीमे ढंग से चली है।

जुलाई में जब सेंसेक्स पहली बार 26,000 के ऊपर पहुँचा तो वहाँ टिक नहीं पाया था और उसके बाद यह दैनिक चार्ट पर अपने 50 एसएमए के करीब आ गया था। दरअसल फरवरी के अंतिम हफ्ते में सेंसेक्स और निफ्टी 50 एसएमए के ऊपर निकले थे और उसके बाद से इसके ऊपर ही बने हुए थे (अभी भी हैं)। इसी आधार पर मैंने शेयर मंथन में अपने 16 जुलाई के अपने लेख में आशंका जतायी थी कि “अगर ये 50 एसएमए के नीचे निर्णायक तौर पर फिसल गये, तो बाजार में ज्यादा बड़ी गिरावट की आशंका पैदा हो सकती है। ...एक महत्वपूर्ण पहलू है कि सेंसेक्स और निफ्टी के मौजूदा स्तर अपने 200 एसएमए से काफी ऊपर निकल आये हैं। लिहाजा तकनीकी सुधार के लिए इन्हें करीब आना होगा। अगर सेंसेक्स-निफ्टी अपने 200 एसएमए की ओर न भी फिसलें, तो इन्हें एक दायरे के अंदर समय गुजारने की जरूरत होगी, ताकि इस दौरान 200 एसएमए ऊपर उठ कर इनके करीब आ सके।”

लेकिन दोनों ही सूचकांकों ने अपने 50 एसएमए को नहीं तोड़ा और लगभग वहीं से पलटने के बाद फिर से ऊँची छलाँग लगा ली। मगर इस बीच चार्ट पर एक और संरचना दिखने लगी थी। मैंने शेयर मंथन में 25 जुलाई के लेख में जिक्र किया कि “16 मई यानी चुनावी नतीजों की तारीख से लेकर अब तक सेंसेक्स और निफ्टी की चाल पर निगाह डालें, तो इसने थोड़ी धीमी रफ्तार से ऊपर चढ़ने वाली एक पट्टी बना ली है।” इस पट्टी के आधार पर ही मैंने लिखा कि अगले 2-3 दिनों में 26,500 के आसपास बाधा बन कर खड़ी होगी। साथ ही मैंने लिखा था कि सेंसेक्स अगले 2-3 दिनों में अपना एक नया शिखर बना कर वहाँ से 800-900 अंक तक गिर सकता है।

लेकिन अगले 2-3 दिनों तक भी बात नहीं गयी। सेंसेक्स ने 25 जुलाई को ही 26,300 का शिखर बनाया और 8 अगस्त तक वहाँ से 1067 अंक फिसल कर 25,233 पर आ गया। वहाँ एक बार फिर से गिरावट गहराने के अंदेशे बने थे, क्योंकि सेंसेक्स दैनिक चार्ट पर 50 एसएमए से नीचे आ गया था। साथ ही 8 अगस्त की तलहटी मई से चल रही पट्टी की निचली रेखा को बिल्कुल छू रही थी। लिहाजा मैंने 9 अगस्त के लेख में कहा कि “अगर इस हफ्ते सेंसेक्स 25,233 से नीचे जाने लगा तो यह इस चढ़ती पट्टी से नीचे फिसल जायेगा और इस तरह कमजोरी की दूसरी शर्त भी पूरी हो जायेगी।”

पर यह दूसरी शर्त पूरी नहीं हुई। सेंसेक्स ने 25,233 नहीं तोड़ा। यह उस दूसरी संभावना पर चला, जिसका जिक्र मैंने 9 अगस्त के ही लेख में किया था। मैंने लिखा था कि “अगर सेंसेक्स अपनी मौजूदा पट्टी के अंदर बना रह गया तो क्या होगा? कुछ-कुछ वैसा ही हो सकता है, जैसा जून 2014 के शुरुआती दो हफ्तों में हुआ था, या उसके बाद 14-24 जुलाई के दौरान हुआ था। मतलब यह कि सेंसेक्स फिर से इस पट्टी की ऊपरी रेखा को छूने का प्रयास करेगा और अगले 2-3 हफ्तों में 26,800-27,000 के करीब चला जायेगा।” अभी सेंसेक्स 26,800-27,000 तक पहुँचा तो नहीं है, लेकिन उसके रास्ते पर ही दिख रहा है।

मैंने 9 अगस्त को लिखा था कि “सेंसेक्स बेहद दिलचस्प मुकाम पर खड़ा है। यहाँ से करीब हजार डेढ़ हजार अंक चढ़ने की भी गुंजाइश है, और हजार अंक गिरने की भी।” सेंसेक्स ने चढ़ने का विकल्प चुना, ठीक उसी जगह से चुना। यह 19 अगस्त को 26,531 के नये उच्चतम स्तर पर पहुँचा, जहाँ यह शुक्रवार 8 अगस्त के बंद स्तर 25,329 के मुकाबले लगभग 1,200 अंक ऊपर था।

हालाँकि इसने 19 अगस्त को 26,531 का जो नया उच्चतम स्तर बनाया, उसे वह 18-22 अगस्त के हफ्ते के बाकी तीन दिनों में पार नहीं कर पाया। इस हफ्ते के पहले दिन को छोड़ दें, तो बाकी चार दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों थके-थके दिखे। निफ्टी भी इस हफ्ते के दौरान बार-बार 7,920-7,930 के आसपास अटकता रहा।

सेंसेक्स अभी अपनी इस पट्टी की ऊपरी रेखा से कुछ दूरी पर है, लिहाजा 26,531 पार करने के बाद लगभग 27,000 तक चले जाने में इसे कोई खास दिक्कत नहीं होगी। लेकिन 27,000 के पास यह ऊपरी रेखा फिर से बाधा बनेगी। इस ऊपरी रेखा से पलट कर नीचे लौटने पर सेंसेक्स के लिए फिर से 25,500 की ओर फिसलने की आशंका पैदा होगी।

एक सवाल मन में आता है कि सेंसेक्स कब तक अपनी इस पट्टी के अंदर हजार डेढ़ हजार ऊपर-नीचे झूलता रहेगा? जब भी यह इस पट्टी को तोड़ कर निकलेगा तो अगली बड़ी चाल शुरू होगी। लेकिन यह इस पट्टी को ऊपर तोड़ेगा या नीचे?

सेंसेक्स लगभग 27,000 के रिकॉर्ड उच्चतम स्तरों पर इस चढ़ती पट्टी को ऊपर की ओर तोड़े, यह असंभव तो नहीं लेकिन मेरे लिए आश्चर्यजनक जरूर होगा। मौजूदा स्तरों पर बाजार में काफी विश्लेषकों ने मूल्यांकन को लेकर चिंताएँ जतानी शुरू कर दी हैं। लोग कहने लगे हैं कि अब तक तो बाजार की सारी तेजी केवल उम्मीदों के भरोसे पर टिकी है, कंपनियों की आय में तेजी दिखने में तो अभी समय लगने वाला है।

बेशक, अगर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निरंतर खरीदारी के चलते नकदी के दम पर बाजार ऊपर चढ़ता चला गया तो मूल्यांकन की ये चिंताएँ एक तरफ धरी रह जायेंगी। लेकिन अगर बाजार यहाँ थोड़ा रुके, कुछ नरम हो तो यह इसकी सेहत के लिए बुरा नहीं होगा। इससे न केवल बुनियादी और तकनीकी चिंताओं में कमी आयेगी, बल्कि जिन लोगों के लिए बाजार में तेजी की यह बस छूट गयी है, उन्हें भी सवार होने का एक मौका मिलेगा।

मुझे नहीं पता कि बाजार ऐसे लोगों को उपकृत करेगा या नहीं और करेगा तो किस हद तक। लेकिन ऐसे मित्रों के लिए मेरी यही शुभेच्छा होगी कि अगर बाजार में कोई नरमी आये तो वे हिचक तोड़ कर अच्छे शेयरों को अपनी निवेश-झोली में डालें। मुझे बड़ा दुख होता है, जब कहा जाता है कि शेयर बाजार में तेजी का फायदा आम निवेशक नहीं उठा पाते और वे तभी बाजार में कदम रखते हैं जब तेजी बिल्कुल अपने आखिरी दौर में होती है।

अब आपको लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले के भाव तो मिलने से रहे। निवेश मंथन के जून अंक में मेरे लेख का शीर्षक ही यही था कि चुनावों के बाद नहीं मिलते पुराने भाव। यानी सेंसेक्स वापस 23,000 पर चला जाये, इसके लक्षण तो नहीं दिखते। आज की स्थिति तो यही है, अगर अचानक कोई बवंडर आ जाये तो बात अलग है। इसलिए जब भी बाजार में थोड़ी कमजोरी आये, थोड़े निचले भाव मिलें तो उस मौके का फायदा उठायें। अगर गिरावट ज्यादा बढ़े तो भी नियमित रूप से खरीदारी जारी रखें, क्योंकि अगले कई सालों तक बाजार का रुझान मोटे तौर पर ऊपर का ही रहने की उम्मीदें हैं। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 25 अगस्त 2014)

 

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