शेयर मंथन में खोजें

बाजार में तकनीकी कमजोरी बनाम बुनियादी मजबूती

राजीव रंजन झा : तकनीकी लिहाज से कहा जाये तो कल गुरुवार 16 अक्टूबर की तीखी गिरावट के बाद भारतीय बाजार में महत्वपूर्ण सहारे को तोड़ दिया है और इसकी आगे की चाल कमजोर लग रही है।

लेकिन दूसरी ओर बुनियादी रूप से देखा जाये तो भारतीय बाजार को मजबूती देने वाली तमाम बातें मौजूद हैं। यानी बाजार को आँकने और रणनीति बनाने के इन दो खास पैमानों में इस समय स्पष्ट विरोधाभास दिख रहा है। ऐसे में एक आम निवेशक और कारोबारी को क्या करना चाहिए?

एक कारोबारी यानी ट्रेडर के लिए उतनी उलझन नहीं होगी। शेयर कारोबारी रुझान के साथ चलते हैं और रुझान की सबसे बेहतर पहचान तकनीकी रूप से ही होती है। कल की गिरावट के बाद कहा जा सकता है कि कम-से-कम छोटी अवधि का रुझान अब नीचे का बन गया है। बेशक, कभी-कभी बाजार छकाने के लिए झूठे संकेत देता है। अगर कल की गिरावट वैसा ही झूठा संकेत नहीं है तो भारतीय बाजार में एक ठीक-ठाक कमजोरी की भूमिका बन चुकी है। 

मेरे 29 सितंबर 2014 के पिछले लेख का शीर्षक था – “सहारों से सरकता जाये सेंसेक्स आहिस्ता-आहिस्ता।” (देखें http://www.sharemanthan.in/index.php/rag-bazaari/33163-rajeev-ranjan-jha-coloumn-20140929) इसमें मैंने लिखा था कि “ किसी सूरत में 26,000 से नीचे जाने का मतलब होगा एक बड़ा खतरा। यह इस बात का संकेत होगा कि 16 मई के ऐतिहासिक दिन के बाद से अब तक बाजार में जो ऊपरी रुझान रहा है, वह रुझान खतरे में है।” कल सेंसेक्स 13 अगस्त के बाद पहली बार 26,000 के नीचे बंद हुआ है। हालाँकि यह केवल एक अंक के अंतर से 26,000 के नीचे बंद हुआ है, एकदम 25,999 पर। इसलिए जरा आज शुक्रवार का कारोबार देख लेना चाहिए कि गुरुवार की कमजोरी जारी रहती है या नहीं। 

मैंने 16 मई के बाद से अब तक की तेजी का रुझान खतरे में होने की बात इसलिए की थी कि सेंसेक्स 16 मई से अब तक एक ऊपर चढ़ती पट्टी (राइजिंग चैनल) के अंदर ही चलता रहा है। उस समय (29 सितंबर को) इस पट्टी की निचली रेखा, यानी 16 मई के बाद से अब तक की तलहटियों को मिलाने वाली रुझान रेखा (ट्रेंड लाइन) 26,000 के पास थी। तब से चढ़ते हुए यह रेखा कल 26,200 के पास आ गयी थी। कल सेंसेक्स ने इस रेखा को बड़े अंतर से तोड़ा और इसके काफी नीचे बंद हुआ। इसलिए यह अंदेशा साफ दिख रहा है कि 16 मई से अब तक की चढ़ती पट्टी से सेंसेक्स नीचे फिसल गया है। 

अगर बाजार को बड़ी गिरावट से बचना है तो इसे झटपट एक-दो दिनों के अंदर इस पट्टी के अंदर वापस लौटना होगा। लेकिन ऐसा नहीं होने पर 29 सितंबर को जताया गया अंदेशा सामने सिर पर खड़ा होगा। मैंने लिखा था कि उस स्थिति में सेंसेक्स न्यूनतम नुकसान में भी करीब 25,000 तक फिसल सकता है। 

निफ्टी तो 16 मई से अब तक की चढ़ती पट्टी से कहीं ज्यादा बड़े अंतर से फिसल चुका है। निफ्टी की 16 मई से अब तक की तलहटियों को मिलाने वाली रेखा इस समय करीब 7850 के पास है, जबकि कल इसका बंद स्तर 7748 है। 

सितंबर के अंतिम हफ्ते में लिखे इस लेख में मैंने सहारों के टूटने की चर्चा की थी, लेकिन तब 50 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) बचा हुआ था। मगर अक्टूबर में सेंसेक्स ने 50 एसएमए को कई बार तोड़ा है और अब जरा निर्णायक ढंग से यह सहारा टूटता दिख रहा है। अभी 50 एसएमए 26,476 पर है। अपने 20 एसएमए को सेंसेक्स 23 सितंबर के बाद से छू भी नहीं पाया है और लगातार इसके नीचे चलता जा रहा है।

सेंसेक्स की 8 अगस्त 2014 की तलहटी 25,233 से ले कर 8 सितंबर 2014 को बने उच्चतम स्तर 27,355 तक की उछाल की वापसी के स्तरों को भी देखें, तो सेंसेक्स 61.8% वापसी के स्तर 26,044 को तोड़ चुका है। अगर यह इन्हीं स्तरों के आसपास से सँभलने में नाकाम रहा तो 80% वापसी के स्तर 25,658 और उसके बाद पूरी 100% वापसी यानी 25,233 तक फिसलने का खतरा सामने होगा। 

अगर बाजार इन्हीं स्तरों से सँभलने लगे और सेंसेक्स-निफ्टी अपने 50 एसएमए के ऊपर मजबूती से लौट आयें, तब जा कर ही इन अंदेशों को खारिज किया जा सकेगा। यहाँ गौरतलब है कि कल सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही अपने 100 एसएमए के ठीक ऊपर बंद हुए हैं। सेंसेक्स का 100 एसएमए अभी 25,892 पर है, जबकि निफ्टी का 100 एसएमए 7738 पर। 

इस हिसाब से भी कहा जा सकता है कि अगर इन दोनों सूचकांकों ने 100 एसएमए पर सहारा ले लिया, तब तो ठीक है, वरना इसके बाद सीधे 200 एसएमए की ओर फिसल जाना बड़ा स्वाभाविक हो सकता है। अब ध्यान दें कि दोनों के 200 एसएमए कहाँ हैं! सेंसेक्स का 200 एसएमए अभी 23,775 पर है, यानी मौजूदा स्तर से 2000 अंक से भी ज्यादा नीचे। वहीं निफ्टी का 200 एसएमए अभी 7096 पर है, यानी मौजूदा स्तर से करीब 650 अंक नीचे। 

यह तो रही आज की तकनीकी हालत, जिसमें गिरावट के अंदेशे काफी गहरे नजर आने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आयी कमजोरी और उसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की हाल के दिनों में लगातार बिकवाली ने इन अंदेशों को पुख्ता जमीन दे दी है। 

लेकिन बुनियादी रूप से देखें तो भारतीय बाजार के लिए तमाम सकारात्मक संभावनाएँ नजर आती हैं। इस समय सबसे सकारात्मक पहलू अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में आयी भारी गिरावट है। यह सबसे सकारात्मक इसलिए भी है कि किसी ने तेल के दाम इतने घटने की पहले से उम्मीद नहीं कर रखी थी। इसलिए यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि तेल के इन दामों की उम्मीदें मौजूदा बाजार भावों में शामिल रही हैं। 

कच्चे तेल की कीमत अब 80 डॉलर प्रति बैरल की ओर फिसल चुकी है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक जबरदस्त सौगात है। इससे देश के व्यापार घाटे (ट्रेड डेफिसिट) और चालू खाते के घाटे (करंट एकाउंट डेफिसिट या CAD) पर अंकुश लगता है और रुपये को मजबूती मिलती है। तेल कंपनियों और खुद सरकार के लिए सब्सिडी की चिंता भी इससे घटती है। 

महँगाई दर का अप्रत्याशित रूप से नीचे आना भी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए एक बड़ा सकारात्मक पहलू है। इससे पहले थोक महँगाई दर (WPI) तो नीचे आ रही थी, मगर खुदरा महँगाई दर (CPI) ऊपरी स्तरों पर अटकी हुई थी। सितंबर में खुदरा महँगाई दर घट कर 6.46% पर आ गयी है। वर्ष 2012 में खुदरा महँगाई के आँकड़े आने शुरू हुए थे और तब से यह अब तक का सबसे निचला स्तर है। थोक महँगाई तो सितंबर 2014 में दर घट कर 2.38% पर आ गयी है। जब अगस्त 2014 में यह 3.74% पर आयी थी, उसी समय बाजार विश्लेषक खुशी से उछल पड़े थे।

इस समय आर्थिक संकेतकों में केवल विकास दर एक ऐसा पहलू है, जहाँ ठीक-ठाक रफ्तार वापस लौटने का इंतजार है। साल 2014-15 की पहली तिमाही में विकास दर (GDP) 5.7% रही, जो जानकारों की उम्मीदों से कहीं ज्यादा थी। लेकिन किसी मुकम्मल नतीजे पर पहुँचने से पहले दूसरी तिमाही में विकास दर के आँकड़ों का इंतजार करना बेहतर है, खास कर इसलिए कि हर महीने पेश होने वाले औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आँकड़े बहुत उत्साहजनक नहीं रहे हैं। 

इस बीच नयी केंद्र सरकार ने लगातार यह दिखाया है कि वह फैसले लेने में नहीं हिचक रही है। लिहाजा रुकी हुई परियोजनाओं पर काम शुरू होने की भूमिका काफी हद तक बन चुकी है। केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया का नारा दे कर देश में उत्पादन (मैन्युफैक्चरिंग) को बढ़ावा देने की अपनी नीति स्पष्ट कर दी है। कल ही घोषित नीति श्रमेव जयते के रूप में केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की ओर कदम बढ़ा दिया है। अभी इस नीति के संदर्भ में श्रमिक संगठनों और सामाजिक चिंताओं का समाधान होना शायद बाकी है, लेकिन उद्योग जगत तो इन श्रम सुधारों का अरसे से बेताबी से इंतजार करता रहा है। 

इसलिए अगर विकास दर ने भी रफ्तार पकड़ ली, तो उसके बाद आर्थिक मोर्चे पर कोई खास नकारात्मक बिंदु नहीं होगा। हाल में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स (S&P) ने जब भारत की रेटिंग को लेकर अपना नजरिया (Outlook) नकारात्मक से स्थिर किया तो उस समय यह संकेत भी दिया था कि आगे चल कर विकास दर बढ़ने और महँगाई दर घटने पर रेटिंग भी बढ़ायी जा सकती है। 

अब इन दोनों तस्वीरों की तुलना कर लें। एक तरफ तकनीकी तस्वीर तमाम अंदेशों को दिखाती है, तो दूसरी तरफ बुनियादी तस्वीर उम्मीदों और सकारात्मक संभावनाओं को दिखाती है। एक निवेशक के रूप में आपको किस तस्वीर पर ध्यान देना चाहिए? मेरी राय होगी कि दोनों तस्वीरों को साथ-साथ ही देखा जाये। जो तकनीकी कमजोरी है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए अगर बाजार यहाँ से और फिसलने लगे तो छोटी अवधि के सौदों से निकल कर हाथ में नकदी रखना ही सुरक्षित होगा। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि सकारात्मक बुनियादी बातों की वजह से शायद बाजार उस हद तक कमजोर नहीं हो, जितनी कमजोरी के अंदेशे तकनीकी रूप से नजर आ रहे हैं। इसलिए लगातार इस बात पर भी नजर रखनी होगी कि बाजार कहाँ से वापस सँभलने के संकेत देने लगेगा। उस मुकाम पर लंबी अवधि के लिए किया गया निवेश अगले कुछ सालों में जबरदस्त फायदा देगा। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 17 अक्टूबर 2014)

Add comment

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन : डाउनलोड करें

बाजार सर्वेक्षण (जनवरी 2023)

Flipkart

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"