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आज सँभलेगा बाजार, पर क्या बाकी है और गिरावट?

राजीव रंजन झा : दिसंबर के पहले हफ्ते से शुरू हुई भारी गिरावट के बाद आज भारतीय शेयर बाजार कुछ सँभलने की स्थिति में लग रहा है।

कल डॉव जोंस में आयी तेजी का विस्तार आज सुबह एशियाई बाजारों में भी होता दिख रहा है, इसलिए भारतीय बाजार एक बढ़त के साथ खुलना चाहिए। मगर मेरी नजर इस बात पर रहेगी कि आज निफ्टी 100 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) के ऊपर लौटने के बाद कितना टिक पाता है। 

कल निफ्टी का बंद भाव 8,030 रहा, जबकि 100 एसएमए 8,059 पर है। इसलिए सुबह-सुबह थोड़ी बढ़त के साथ यह 100 एसएमए के ऊपर लौट तो आयेगा, मगर सवाल इसके ऊपर टिकने का है। हालाँकि 100 एसएमए के ऊपर टिक जाने भर से बाजार कमजोरी के दौर से नहीं उबरेगा। छोटी अवधि में बाजार का रुझान बदलने के लिए इसका 50 एसएमए (अभी 8,226) के ऊपर लौट कर टिकना जरूरी होगा। 

नवंबर के तीसरे हफ्ते में जब बाजार लगातार नये रिकॉर्ड स्तरों को छू रहा था और सेंसेक्स 28,000 के ऊपर था, तब मैंने आपसे कहा था कि सेंसेक्स के लगभग 27,000 तक लौट कर आने की संभावना पर नजर रखने की जरूरत है। तब मैंने 20 नवंबर 2014 के लेख में आगाह किया था कि लगभग हजार अंकों की गिरावट का एक खतरा दिखता है। हालाँकि मैंने यह भी साफ किया था कि "बाजार ने अब तक गिरावट के पुख्ता संकेत दिये नहीं हैं और लगातार थोड़ा-थोड़ा ही सही, लेकिन ऊपर की ओर ही चलता रहा है। इसलिए फिलहाल बाजार को सचेत नजर से देखते रहें और रुझान को पक्के तौर पर समझने के बाद ही कोई रणनीति बनायें।"

बाजार वहाँ तो नहीं रुका, लेकिन उसके करीब हफ्ते भर बाद 28 नवंबर को 28,822 का उच्चतम स्तर छूने के बाद सेंसेक्स अटक गया। निफ्टी ने अपना नया उच्चतम स्तर 4 दिसंबर को 8627 पर बनाया और उसके बाद से ही बाजार एकदम से पलट गया। वहाँ से कल के निचले स्तर 7961 तक निफ्टी 666 अंक यानी 7.72% फिसल चुका है। सेंसेक्स 28,822 के रिकॉर्ड स्तर से कल के निचले स्तर 26,469 पर 2,353 अंक या 8.16% तक की गिरावट दर्ज कर चुका है। यानी जितनी आशंका थी, बाजार उससे कहीं ज्यादा नीचे आ चुका है। 

बाजार ने इस गिरावट के लिए किसी छोटे बहाने का इस्तेमाल नहीं किया है, बल्कि सारी दुनिया के बाजारों में इस समय भारी उथल-पुथल दिख रही है। विश्व अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएँ बढ़ी हैं और कच्चे तेल की बेतहाशा गिरती कीमतों ने इस चिंता को बढ़ाया ही है। तमाम देशों की मुद्राएँ डॉलर की तुलना में काफी कमजोरी दिखा रही हैं। ऐसे वैश्विक माहौल में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने हर दिन भारतीय बाजार में बड़ी बिकवाली करने का रुख अपनाया है और नतीजा हमारे सामने है।

वैश्विक उथल-पुथल का भारत पर और कितना असर होगा, इसे लेकर जानकारों में साफ मतभेद है। एक राय यह है कि वैश्विक बाजारों में गिरावट जारी रहने पर भारतीय बाजार भी उसकी चपेट में आयेगा ही। दूसरी राय यह है कि विश्व अर्थव्यवस्था भले ही फिर से धीमी पड़ने की आशंका बनी हो, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में होने के कारण भारतीय शेयर बाजार में तुलनात्मक रूप से कम गिरावट आनी चाहिए।

भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलनात्मक मजबूती शायद देर-सबेर भारतीय बाजार को सँभाल ले, मगर इतना तो तय है कि वैश्विक उथल-पुथल जारी रहने पर एफआईआई बिकवाली जारी रहेगी और उसके साथ ही बाजार गिरता जायेगा। भारतीय बाजार में गिरावट थमने का संकेत तभी समझना चाहिए, जब एफआईआई बिकवाली थम जाये। अभी तो 9 दिसंबर से अब तक लगातार उनकी बिकवाली जारी है, जो लगातार बड़ी होती जा रही है। इस हफ्ते सोमवार को 865 करोड़ रुपये और मंगलवार को 1,247 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली करने के बाद कल बुधवार को उनकी ओर से 1,636 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली हुई है।

ऐसे माहौल में तकनीकी रूप से यह कह पाना बड़ा मुश्किल होता है कि गिरावट कहाँ तक हो सकती है, कहाँ थम सकती है। लेकिन इतना जरूर है कि अगले पड़ावों के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है और मोटे रुझान को समझा जा सकता है।

पिछले कुछ महीनों से लगातार मैं इस साल 16 मई के बाद से चल रही चढ़ती पट्टी (राइजिंग चैनल) का जिक्र करता रहा हूँ। निफ्टी के चार्ट पर यह समांतर पट्टी के बदले फैलती संरचना (एक्सपैंडिंग पैटर्न) की तरह है। इसमें ऊपर की ओर 16 मई के ऊपरी स्तर को जून, जुलाई, सितंबर और नवंबर के शिखरों को मिलाने वाली रुझान रेखा है, जबकि नीचे जुलाई, अगस्त और अक्टूबर की तलहटियों को मिलाती रुझान रेखा है। 

निफ्टी का 4 दिसंबर 2014 को बना 8,627 का शिखर ऊपरी रुझान रेखा पर ही है और लगभग 600 अंकों की गिरावट अब निफ्टी निचली रुझान रेखा के करीब आ चुका है। इस दौरान निफ्टी ने न केवल 50 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए), बल्कि 100 एसएमए को भी तोड़ दिया है। कल का बंद स्तर 8,030 इसके 100 एसएमए के स्तर 8,059 के नीचे ही है। 

संभव है कि निचली रुझान रेखा (अभी 7950 के पास) पर अभी निफ्टी को कुछ सहारा मिल जाये। इस साल के दौरान 100 एसएमए भी इसके लिए मजबूत सहारा रहा है। फरवरी 2014 में 100 एसएमए के ऊपर निकलने के बाद से निफ्टी लगातार इसके ऊपर ही बना रहा है। अक्टूबर की गिरावट में यह 100 एसएमए को छूने के साथ ही वापस सँभल गया था। इसलिए अगर अभी यह फिर से 100 के ऊपर लौटता है तो गिरावट थमने की एक फौरी उम्मीद होगी। लेकिन निफ्टी के लिए अभी ज्यादा कठिन चुनौती 50 एसएमए के ऊपर लौटने की होगी, जो अभी 8,226 पर है। 

इन स्तरों पर सहारा मिलने की उम्मीद इसलिए भी की जा सकती है कि अक्टूबर की तलहटी 7,724 से 4 दिसंबर को बने शिखर 8,627 तक की उछाल की 80% वापसी 7,904 पर है। 

लेकिन अगर 7900-7950 के आसपास भी सहारा लेने में निफ्टी नाकाम रहा तो अक्टूबर की तलहटी 7,724 को फिर से छूने की काफी संभावना बन जायेगी। मेरी आशंका यह है कि उस स्थिति में गिरावट कहीं और न गहरा जाये, क्योंकि 100 एसएमए पक्के तौर पर तोड़ने के बाद 200 एसएमए तक फिसलना स्वाभाविक होता है और 200 एसएमए इस समय 7,500 के कुछ ऊपर है। 

साथ ही 7,900 के नीचे फिसलने का मतलब यह होगा कि मई से अब तक सहारा देती आयी रुझान रेखा कट जायेगी। इसका सीधा संकेत यह होगा कि बाजार ने 16 मई के बाद से, यानी चुनावी नतीजे सामने आने के बाद बने तेज रुझान को छोड़ दिया है। 

अगर निफ्टी 7,724 के नीचे गया तो फरवरी 2014 से अब तक की तेजी का क्रम टूटने का भी संकेत होगा, क्योंकि फरवरी के बाद से पहली बार कोई बड़ी तलहटी टूट जायेगी। यह मध्यम अवधि की तेजी खतरे में पड़ने का संकेत होगा। लेकिन फिलहाल ज्यादा बड़ी आशंकाओं में घिरने के बदले यही मानना चाहिए कि निफ्टी तात्कालिक तौर पर यहाँ कुछ सहारा ले सकता है। अगर यह इन स्तरों से और ज्यादा गिरा भी तो 7,900, 7,700 और 7,500 पर गिरावट थमने की उम्मीद रहेगी। इसलिए आगे के इन स्तरों पर दिग्गज और बुनियादी रूप से मजबूत शेयरों को निवेश के लिए क्रमशः चुनते रहने की रणनीति आने वाले वर्षों में अच्छा फायदा दे सकती है। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 18 दिसंबर 2014)

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