गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) बिल को कैबिनेट ने हरी झंडी दिखा दी है।
जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पादों और प्रवेश शुल्क (एंट्री टैक्स) को शामिल किया गया है। आज इस बिल को संसद में पेश किया जा सकता है। शुरू से ही राज्य सरकारें पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहती थी। क्योंकि इससे राज्यों को 50% से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। जीएसटी लागू हो जाने के बाद राज्यों ने राजस्व में घाटे की बात कही थी। इस बिल के तहत केंद्र अगले पाँच साल तक राज्य सरकारों के राजस्व घाटे की भरपाई करेगा। इसके तहत केंद्र अगले तीन साल तक राज्यों के घाटे का पूरा भुगतान करेगा लेकिन आगे इसमें जरूरत के मुताबिक कटौती की जायेगी।
सरकार ने 1 अप्रैल 2016 से जीएसटी बिल को लागू करने का उद्देश्य रखा है। जीएसटी के लागू हो जाने के बाद यह राज्य और केंद्र सरकार द्वारा लगाये जा रहे विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा। (शेयर मंथन, 18 दिसंबर 2014) =