क्या 3,000 की ओर फिसल जायेगा इन्फोसिस (Infosys)?

राजीव रंजन झा : इन्फोसिस (Infosys) के बारे में मैंने 10 जनवरी 2014 के लेख में कहा था कि "3500 पार होने के बाद आने वाले वर्षों में 4000 और 4500 तक के लक्ष्य बन सकते हैं।

इसे 4500 तक जाने में शायद जून-जुलाई 2015 तक का समय लग जाये।" उस समय इन्फोसिस ने 3500 के मेरे पुराने लक्ष्य को छुआ था। मगर कल इसके तिमाही नतीजों के बाद मैंने सचेत करना चाहा कि मौजूदा भावों पर यह अगर महँगा नहीं है तो सस्ता भी नहीं रह गया है। मैंने यह बात 2014-15 में 200 से 210 तक की प्रति शेयर आय (ईपीएस) रहने की संभावना के आधार पर लिखी। बाद में कई ब्रोकिंग फर्मों की जो रपटें देखने को मिलीं, उनमें भी ईपीएस का आँकड़ा इसी दायरे में मिला। प्रभुदास लीलाधर ने 205.5 रुपये की ईपीएस के अनुमान के साथ अपनी रपट में कहा है कि आय के अनुमानों में वृद्धि के आधार पर इन्फोसिस का शेयर भाव 2-5% तक बढ़त की गुंजाइश रखता है।

लेकिन इस ईपीएस पर ब्रोकिंग फर्म इन्फोसिस को कुछ ज्यादा मूल्यांकन देने के लिए तैयार हैं। एंजेल ब्रोकिंग ने 2014-15 में इसका ईपीएस 208.1 रुपये रहने का अनुमान जताया है। लेकिन इसने लक्ष्य भाव तय करने के लिए एक साल और आगे 2015-16 के 235.8 रुपये की अनुमानित ईपीएस ली है। इस पर 15.5 पीई के आधार पर 3,640 रुपये का लक्ष्य भाव निकाला गया है। हालाँकि अगर 2014-15 की ही ईपीएस लें तो 3,640 रुपये के लक्ष्य पर 17.5 पीई हो जाता है।

बेशक, 17.5 का पीई अनुपात मिलना इन्फोसिस के लिए कोई अनहोनी या अनोखी बात नहीं होगी। लेकिन मेरे मन में सवाल यही है कि मौजूदा माहौल में इसे कैसे लंबी अवधि के औसत से ज्यादा मूल्यांकन मिल सकेगा, जबकि नारायणमूर्ति की वापसी के बाद भी कंपनी आय और मार्जिन को लेकर ज्यादा ठोस ढंग से आश्वस्त नहीं कर पा रही है। बेशक, अगर पूरे बाजार में उत्साह का दौर बना रहा और मोटे तौर पर आईटी क्षेत्र को लेकर कोई नकारात्मक धारणा नहीं बनी तो एफआईआई खरीदारी की बाढ़ में यह बिल्कुल मुमकिन हो सकता है। लेकिन सामान्य रूप से बुनियादी आधार पर यह बात जरूर खटकती है।

अगर तकनीकी लिहाज से देखें तो इन्फोसिस का शेयर भाव अप्रैल 2013 के बाद से ही एक चढ़ती पट्टी में नजर आ रहा था। लेकिन हाल में यह इस पट्टी से नीचे फिसला है। लगभग उसी समय यह 50 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) से भी नीचे फिसला। सिर्फ इतना ही नहीं, उसी समय 13 मार्च 2014 को इसने 3652-3440 का एक काफी बड़ा निचला अंतराल (गैप) बनाया। इन सब बातों का मतलब यही था कि इसकी ऊपरी चाल टूट गयी है।

इसने 29 अप्रैल 2013 की तलहटी 2186 से लेकर 6 मार्च 2014 के शिखर 3,850 तक की उछाल दर्ज की थी। इस पूरी उछाल की 23.6% वापसी भी 3,457 पर है, यानी जो निचला अंतराल 13 मार्च को बना, उसका निचला छोर 23.6% वापसी के स्तर से नीचे ही रहा।

इन सब बातों का एक सीधा मतलब यह है कि फिलहाल इन्फोसिस के लिए 3,457 की बाधा को पार करना बड़ा मुश्किल रहेगा। अगर यह इसे पार करे तो अगली बाधा 3,652 पर होगी।

इसने 2186-3850 की उछाल की 23.6% वापसी के स्तर से नीचे फिसलने के बाद बीते शुक्रवार को ही 38.2% वापसी के स्तर 3,214 को भी छू लिया। शुक्रवार 11 अप्रैल को इसका निचला स्तर 3,165 का रहा। कल मंगलवार की उछाल के बाद फिलहाल 3,165 को एक तलहटी के तौर पर देखा जा सकता है और इस तरह वहाँ एक सहारा बनता है।

गौरतलब है कि इसका 200 एसएमए भी मौजूदा स्तरों के पास ही है। पिछले हफ्ते इसने 200 एसएमए को नीचे काटा और कल यह वापस इसके ऊपर लौट आया। आने वाले दिनों में इस बात पर भी नजर रखनी होगी कि कहीं यह 200 एसएमए के नीचे फिसलने न लगे। वैसी हालत में इसकी कमजोरी बढ़ेगी और यह करीब 3,000 रुपये तक फिसल सकता है। इसके लिए 3,000 पर एक मनोवैज्ञानिक सहारा तो होगा ही, साथ ही 2186-3850 की उछाल की 50% वापसी भी 3,018 पर है।

अगर यह 200 एसएमए को बचाये रख सका तो फिलहाल इसके लिए मोटे तौर पर 3200-3450 का एक दायरा बन जायेगा, जिसमें यह ठहराव (कंसोलिडेशन) के दौर से गुजर सकता है। फिर आगे की चाल इस बात पर निर्भर करती है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद पूरे बाजार का रुख कैसा रहता है, डॉलर के मुकाबले रुपये में और मजबूती आती है या नहीं और एफआईआई खरीदारी में कितना जोर बना रहता है। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 16 अप्रैल 2014)