नोटबंदी ने बिगाड़ी है शेयर बाजार की चाल

राजीव रंजन झाराजीव रंजन झा : जब अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप नहीं जीते थे और भारत में विमुद्रीकरण या नोटबंदी का फैसला नहीं हुआ था, उससे पहले अक्टूबर के दौरान ही मैंने अपने लेखों में कहा था कि शेयर बाजार का रुझान अब नीचे की ओर है।

तब मेरा आकलन था कि "सेंसेक्स की असली परीक्षा मोटे तौर पर 28,200-28,500 के दायरे में ही होगी। बाजार का दबाव खत्म होने के लिए इसके ऊपर निकलना जरूरी होगा।" 

एनएसई के मुख्य सूचकांक निफ्टी के बारे में भी मैंने लिखा था, "यह आशंका बनी रहेगी कि पिछले महीने 7 सितंबर को इसने 8,969 पर एक शिखर बनाने के बाद छोटी अवधि में नीचे आने का जो रुझान बनाया है, वह आगे भी जारी रहे और यह यहाँ से और भी निचले स्तरों की ओर फिसले।" तब से सेंसेक्स की दिशा नीचे की ओर ही बनी रही है। पिछले हफ्ते ही सेंसेक्स 25,718 तक फिसल गया।
तकनीकी लिहाज से सेंसेक्स का वहाँ तक गिरना कतई चौंकाने वाली बात नहीं है। फरवरी 2016 की तलहटी से सितंबर 2016 में बने 29,077 के शिखर तक की उछाल की 23.6% वापसी 27,500 के पास बनती थी। इसके आधार पर मैंने अक्टूबर में ही लिखा था कि इस संरचना में 27,500 के नीचे का सहारा लगभग 1,000 अंक नीचे 26,500 के पास होगा।
पिछले हफ्ते लगातार चार दिनों तक 26,000 से नीचे के स्तरों को देखने के बाद शुक्रवार 25 नवंबर को जरूर सेंसेक्स ने जबरदस्त छलाँग लगायी। बीते शुक्रवार को इसने 456 अंक या 1.76 प्रतिशत की जोरदार उछाल दर्ज की है और 26,316 पर बंद हुआ है। क्या इस एक दिन की जोरदार उछाल को बाजार सँभलने और इसकी दिशा पलटने का संकेत माना जाये? मुझे लगता है कि अभी यह नतीजा नहीं निकाला जा सकता।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बन जाने का भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था पर कोई दूरगामी असर नहीं लगता। अमेरिकी चुनाव का यह फैसला आने से पहले भले ही ट्रंप के जीतने की आशंका से ही वहाँ के शेयर बाजार में उथल-पुथल दिख जाती रही हो, पर यह नतीजा आने के बाद से अमेरिकी बाजारों और साथ ही वैश्विक बाजारों में स्थिरता है। अमेरिकी शेयर बाजार तो फिर से नयी रिकॉर्ड ऊँचाइयों को छू रहा है।
ऐसे वैश्विक माहौल में भारतीय बाजार अगर लगातार कमजोर होता गया है तो इसका कारण यही है कि नोटबंदी के फैसले से अगली एक-दो तिमाहियों तक अर्थव्यवस्था के डगमगाने की आशंका है। विश्लेषकों की नजर इस बात पर भी रहेगी कि इससे लगने वाला झटका एक-दो तिमाहियों तक ही सीमित रहता है या उसके आगे भी जाता है।
फिलहाल मध्यम अवधि के लिए तो भारतीय बाजार की चाल कमजोर ही लगती है। छोटी अवधि में इसकी दिशा बदलने का संकेत तब मिलेगा, जब यह 20 दिनों के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) के ऊपर निकल सके। अभी 20 एसएमए 26,900 के पास है। वहीं 27,500 के ऊपर लौटने पर मध्यम अवधि में इसकी चाल तेज होने की उम्मीद की जा सकेगी। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 28 नवंबर 2016)