धारणाओं में सुधार, महँगाई दर में कमी, कमोडिटी कीमतों में गिरावट, ब्याज दरों में बढ़त थम जाने और सरकार के प्रयासों की वजह से घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत सुधरने लगी है।
कई देशों में बॉण्ड यील्ड गिरने के साथ भारत जैसे देशों में पूँजी का प्रवाह बढ़ सकता है। बाजार में हाल की वृद्धि के बाद भी मूल्यांकन अभी उचित ही दिख रहे हैं। हालाँकि निवेशकों को अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों में ही मध्यम से लंबी अवधि के लिहाज से निवेश करना चाहिए। भारतीय बाजार की प्रमुख चिंताओं में अभी वैश्विक विकास में धीमापन, अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि, अमेरिकी डॉलर के मूल्य में तेजी, भूराजनयिक तनाव और घरेलू व्यापार घाटा शामिल हैं। वहीं, नयी सरकार के सुधारवादी कदम, कम महँगाई दर, एफडीआई के लिए रास्ते खोलना और जीएसटी पर अमल बाजार के लिए सकारात्मक पहलू हैं। राजेश अग्रवाल, रिसर्च प्रमुख, ईस्टर्न फाइनेंशियर्स (Rajesh Agarwal, Research Head, Eastern Financiers)
(शेयर मंथन, 03 जनवरी 2015)