हितेंद्र वासुदेव
तकनीकी विश्लेषक
बाजार के लिए बड़ी चिंता यह है कि विकास दर घटेगी।
यह संभवतः सरकारी अनुमान का आधा रह जाये। बाजार में यह ठहराव और एक दायरे में तीखे उतार-चढ़ाव की अवधि होगी। सालाना चार्ट पर साल 2016 में दोजी कैंडल बनी है, जो दिखाती है कि दायरे में ऊपर-नीचे होते रहने के बीच ठहराव जारी रह सकता है। इसमें निफ्टी 6,800 या 6,600 तक भी फिसल सकता है। बाद में यह सँभलेगा और 9,119 से 6,600 के बीच जमेगा। अभी तात्कालिक सहारा 7,900 पर है। इसके नीचे जाने पर 7,641-7,500 तक की गिरावट आ सकती है। लेकिन अगर यह 8,300 के ऊपर बंद होता है तो एक नयी ऊपरी चाल शुरू हो सकती है। ठहराव का दौर पूरा होने के बाद निफ्टी संभवतः साल 2018 में नया शिखर बना सकता है।
काफी लंबी अवधि के लिए बाजार हमेशा अच्छा लगता है, पर निवेशक की निवेश अवधि महत्वपूर्ण है। निवेशक ने कब निवेश शुरू किया है, यह महत्वपूर्ण है। निवेश की शुरुआत साल 2008 के शीर्ष से या 2015 के शीर्ष स्तर से की गयी है या 2009 की तलहटी या 2003 की तलहटी से? डॉव जोंस के 100 वर्षों के आँकड़ों में हमने विभिन्न विश्व युद्धों और विभिन्न नकारात्मक कारणों को देखा है। लेकिन अंतत: बाजार आगे बढ़ा, जो यह साबित करता है कि लंबे समय में क्या हो सकता है। केवल जापान ही इसका अपवाद रहा है। इसलिए निवेशक के लिए कोई गिरावट या प्रमुख तलहटी से बाजार ऊपर उठने का समय सदैव सर्वश्रेष्ठ अवसर होता है। आखिरकार सेंसेक्स 30,000 को पार करेगा ही, मुद्दा केवल यही है कि ऐसा कब करेगा। (शेयर मंथन, 03 जनवरी 2017)