वैभव अग्रवाल
रिसर्च प्रमुख, एंजेल ब्रोकिंग
सरकार की ओर से प्रमुख सुधार कार्यक्रमों पर प्रगति का अभाव है।
कच्चे तेल की कीमतों में तेज वृद्धि चिंता का विषय है। सकारात्मक बात यह है कि ब्याज दरों में कमी आयी है और पूँजी की लागत घटी है। वर्ष 2017 में उपभोग में कमी आ सकती है, मगर सरकारी व्यय में हो रही वृद्धि विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विभिन्न चुनौतियों के बावजूद मेरा मानना है कि आगामी कई वर्षों तक हम संरचनात्मक रूप से सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था बने रहेंगे, जिससे निवेशकों को भारतीय पूँजी बाजार की ओर आकर्षित होना चाहिए। इसलिए हम मँझोली से दीर्घ अवधि में भारतीय बाजारों की संभावनाओं को लेकर सकारात्मक नजरिया बनाये हुए हैं। (शेयर मंथन, 04 जनवरी 2017)