जितेंद्र पांडा
एमडी एवं सीईओ, पीयरलेस सिक्योरिटीज
साल 2016 में ठहराव (कंसोलिडेशन) और सर्जिकल सुधारों के बाद हम ऐसे तार्किक मूल्यांकन पर हैं, जहाँ से एक नये शिखर तक पहुँचने की उछाल शुरू हो सकती है।
विश्व अर्थव्यवस्था और खास कर अमेरिका की हालत में सुधार आने से हमारे बाजार के लिए भी एक नया सकारात्मक संकेत बन सकता है। अभी भारत में राजनीतिक सुधार और उनके असर चिंता का विषय हैं। जीएसटी पर अमल में देरी होने से भी चिंता बढ़ेगी। साथ में इस पर नजर है कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों का असर कैसा रहता है।
नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था को तात्कालिक झटका लगा है, जिसका असर ज्यादा-से-ज्यादा एक तिमाही तक रहेगा। कई क्षेत्र पहले से ही इससे उबरने के रास्ते निकाल चुके हैं। मगर इससे जो सफाई हुई है और भारतीय एक नकदरहित अर्थव्यवस्था में काम करना सीख रहे हैं, उससे 3-4 तिमाहियों बाद शेयर बाजार पर काफी बड़ा सकारात्मक असर होगा। कॉर्पोरेट प्रशासन में मजबूत कंपनियाँ कई गुना वृद्धि हासिल कर सकेंगी, जबकि इसमें कमजोर कंपनियाँ नष्ट हो सकती हैं।
अभी सकारात्मक बात यह है कि अच्छे मॉनसून के चलते आगे चल कर अर्थव्यवस्था में तेजी आ सकती है। बैंकिंग क्षेत्र में सफाई होना, अच्छी राजकोषीय स्थिति और हाल की गिरावट के बाद मूल्यांकन का तार्किक होना भी अच्छा है।
मेरा आकलन है कि सेंसेक्स छह महीने में 30,300 तक और साल भर में 33,000 तक जा सकता है। निफ्टी इस साल ऊपर 9,600 तक और नीचे 7,750 तक के दायरे में रहेगा। साल 2017 में वित्तीय सेवा, दवा, कैपिटल गुड्स और ऑटो क्षेत्रों का प्रदर्शन मजबूत रहेगा, जबकि सीमेंट और रियल एस्टेट में कमजोरी दिखती है। इस साल के लिए यस बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एनबीसीसी, टोरंट और एक्साइट मेरे पाँच सबसे पसंदीदा शेयर हैं। (शेयर मंथन, 04 जनवरी 2017)