पहली छमाही में बाजार में निचला रुझान

PK Agarwalपी. के. अग्रवाल
निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स
साल 2017 एक मुश्किल वर्ष होगा, जिसमें निवेशकों के लिए पैसा बना पाना एक चुनौती होगी।

अभी नोटबंदी के चलते धीमापन, डॉलर की बढ़ती मजबूती मुख्य चिंताएँ हैं। आरबीआई के सामने यह मुश्किल चुनाव है कि वह रुपये की गिरती कीमत थामे या अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए ब्याज दरें घटाये। दूसरी ओर भारत की युवा आबादी और उसकी आकांक्षाएँ, अंतर्निहित माँग और जीएसटी अगर लागू हो सका तो ये सब बातें बाजार के लिए सकारात्मक होंगी।
तीसरी तिमाही के कारोबारी नतीजों में 0-5% की वृद्धि रह सकती है। नोटबंदी के चलते साल 2017 की कम-से-कम पहली छमाही में अर्थव्यवस्था धीमी ही रहेगी। लिहाजा शेयर बाजार निचले रुझान के साथ एक दायरे के अंदर बना रहेगा।
इन स्थितियों में जून 2017 तक सेंसेक्स 28,000 और निफ्टी 8,600 पर होने की संभावना लगती है। वहीं दिसंबर 2017 तक सेंसेक्स 30,000 और निफ्टी 9,100 के पिछले शीर्ष स्तरों तक लौट सकते हैं। वहीं नीचे की ओर मुझे नहीं लगता कि निफ्टी 8,600 का स्तर तोड़ेगा। इस साल बुनियादी ढाँचा, एनबीएफसी और कृषि आधारित क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे। दूसरी ओर बिजली, पीएसयू और टेलीकॉम क्षेत्र सुस्त रहेंगे। साल 2017 के लिए मेरे पाँच सबसे पसंदीदा शेयर एलऐंडटी, एचडीएफसी, बजाज फिन, मनप्पुरम और कोहिनूर फूड्स हैं। (शेयर मंथन, 05 जनवरी 2017)