सोयाबीन और सरसों में तेजी का रुझान, सीपीओ के लिए बाधा - एसएमसी

सोयाबीन वायदा (दिसंबर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ कारोबार कर सकती हैं।

इसकी कीमतें 3,050 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है क्योंकि कम होती आवक और घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों के तेजी प्रदान करने के लिए ऑयलमील के निर्यात पर प्रोत्साहन को बढ़ा कर दोगुना 10% किये जाने की उम्मीद से कीमतें को मदद मिल सकतती है। यदि हम यूरोपीय देशों को होने वाले ऑयलमील निर्यात पर लगभग 35 डॉलर प्रति टन माल भाड़े और 1 डॉलर प्रति टन इंश्योरेंस खर्च भी जोड़ लें तो रॉटरडम में भारतीय सोयाबीन की कीमतें 403 डॉलर प्रति टन होती है। जो अर्जेटिना के सोयाबीन की तुलना में 25 डॉलर प्रति टन महंगा है। इससे पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोयाबीन की माँग कमजोर है। रिफाइंड सोया तेल वायदा की कीमतें इस वर्ष के उच्चतम स्तर पर 748 पर पहुंच चुकी हैं। अधिकांश खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी किये जाने के कारण कीमतों को मदद मिली है। लेकिन अधिक कीमतों पर माँग कम होते जाने के कारण मजबूती की सेंटमेंट कमजोर होता जा रहा है। हाजिर बाजारों में सोया तेल की खुदरा माँग कम होने से अधिकांश थोक कारोबारी बाजार से दूरी बनाये हुए हैं। इसके अतिरिक्त निकट भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बंदरगाहों और पाइपलाइन में पर्याप्त स्टॉक है। इसलिए आगामी दिनों दिसंबर वायदा की कीमतें 728-738 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। सीपीओ वायदा (दिसम्बर) की कीमतों को 595 के नजदीक रेजिस्टेंस रहने की संभावना है और बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। आरबीडी पॉमोलीन की मांग आवश्यकतानुसार ही हो रही है, इसलिए थोक कारोबारी काफी कम खरीदारी कर रहे हैं। मौजूदा सीजन में कम उत्पादन क्षेत्र खबरों के कारण सरसों वायदा (दिसंबर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 4,100-4,150 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। राजस्थान सरकार के आँकड़ो के अनुसार 20 नवंबर को 18.69 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुआई हुई है, जबकि पिछले वर्ष समान अवधि में 23.66 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। (शेयर मंथन, 27 नवंबर 2017)