हल्दी, जीरा और धनिया में नरमी का रुझान - एसएमसी

हल्दी वायदा (सितंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 7,260 रुपये से नीचे ही कारोबार करने की संभावना है।
सुस्त कारोबार और अच्छी क्वालिटी की हल्दी की आवक नही होने से देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में हल्दी की कीमत घटी है। इस वर्ष महाराष्ट्र में हल्दी की बुआई रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच सकती है, क्योंकि पिछले वर्ष में किसानों को अन्य फसलों की तुलना में हल्दी से अधिक लाभ हुआ है। इस कारण हल्दी का उत्पादन अधिक हो सकता है।
वहीं जीरा वायदा (सितंबर) की कीमतों को 19,950 रुपये के स्तर पर सहारा और 20,300 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकती है। बेहतर खरीदारी के कारण ऊंझा बाजार में जीरे की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि अन्य बाजारों में कीमतों में स्थिरता है। कारोबारियों का अनुमान है कि 2018-19 (अप्रैल-मार्च) में जीरे का कुल निर्यात पिछले वर्ष के 1,43,670 टन की तुलना में रिकॉर्ड 1,75,000 टन हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, भारत अच्छी क्वालिटी के जीरे का एक मात्रा निर्यातक बन गया है, क्योंकि तुर्की और सीरिया में प्रतिकूल मौसम से जीरे के उत्पादन में कमी के कारण विश्व बाजार में जीरे की सप्लाई नही हो रही है। दूसरी ओर चीन, बांग्लादेश, दुबई और ताइवान की ओर से जीरे की माँग अधिक हो रही है।
धनिया वायदा (सितंबर) की कीमतों को 4,930 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है। मौजूदा बारिश के सीजन में उतर भारत के मसाला कारोबारी भारतीय धनिया की खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि बारिश के मौसम में आयातित धनिया पाउडर में नमी लगना शुरू हो गया है। (शेयर मंथन, 10 अगस्त 2018)