हल्दी में मंदी, जीरे में खरीदारी का अभाव - एसएमसी

पर्याप्त माँग के अभाव में हल्दी की कीमतों में रिकवरी नहीं हो रही है।

दिसंबर के अंत तक निजामाबाद में नयी फसल की आवक से हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें 6,675-6,835 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। इरोद टर्मरिक मर्चेन्ट्स एसोसिएशन सेल्स यार्ड में फिंगर वेरायटी की कीमतें 5,339-8,008 रुपये प्रति क्विंटल और रूट वेरायटी की कीमतें 4,980-7,074 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में हैं। रेगुलेटेड मार्केट कमिटी में फिंगर वेरायटी की कीमतें 6,489-7,599 रुपये प्रति क्विंटल और रूट वेरायटी की कीमतें 5,896-6,899 रुपये क्विंटल के दायरे में हैं।
खरीदारी के अभाव के कारण जीरा वायदा (जनवरी) में शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) को 18,300-18,400 रुपये के नजदीक बाधा का सामना करना पड़ सकता है। खरीदार नयी फसल की आवक का इंतजार कर रहे हैं और बुआई की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं। नवंबर के अंतिम हफ्ते तक राजस्थान में पिछले वर्ष की समान अवधि के 2.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 24% की बढ़ोतरी के साथ 3.1 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है। लेकिन गुजरात में 10 दिसंबर तक जीरे की बुआई 2,68,368 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 3,11,366 हेक्टेयर हुई थी।
गुजरात में जीरे की बुआई पूरे जोर-शोर से नहीं हो पा रही है, लेकिन राज्य में बुआई के लिए जीरे की खरीदारी में पहले ही 10% की वृद्धि हो चुकी है। इसका कारण यह है कि राजस्थान के किसान और कारोबारी ऊंझा से बुआई के लिए जीरे की खरीदारी कर रहे हैं, क्योंकि गुजरात के बीज की उत्पादकता बेहतर होती है।
कम उत्पादन अनुमान के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों को 6,150 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है। छिट-पुट बारिश और किसानों ने चना एवं गेहूँ जैसी लाभकारी फसलों की खेती की ओर रुख करने के कारण बुआई और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। (शेयर मंथन, 20 दिसंबर 2018)