सोयाबीन में सुस्ती के संकेत, सरसों के लिए बाधा - एसएमसी

सोयाबीन वायदा (फरवरी) की कीमतों में तेजी के रुझान के कमजोर पड़ने की संभावना है और मुनाफा वसूली के कारण 3,900 रुपये के स्तर पर अड़चन रह सकती है।


ऐसी खबरें है कि ईरान की सरकारी पशु आहार कंपनी ने पिछले हफ्ते 2 लाख टन सोयामील की खरीद के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर जारी किया है। भारतीय बाजार को पहले उम्मीद था कि ईरान के बैंकिंग और व्यापारिक वित्त पर संयुक्त राज्य के प्रतिबंध के कारण कोई भी अंतरराष्ट्रीय कंपनी इसके लिए बोली नही लगायेगी और परिणाम स्वरूप भारतीय कंपनियाँ सोयामील का निर्यात करेंगी, क्योंकि ईरान ने रुपये में भुगतान के बदले भारत को कच्चे तेल का निर्यात करने के लिए सहमत हो गया था और जिसका इस्तेमाल वह भारत से सोयामील के आयात का भुगतान करने के लिए करेगा। लेकिन बाजार सूत्रों के अनुसार एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी ने मार्च-अप्रैल में ईरान के बंदरगाह पर 1.32 लाख टन सोयामील 377 यूरो प्रति टन की दर से निर्यात करने के लिए बोली लगायी है। यह सोयामील ब्राजील का होगा। इसलिए यदि ईरान के साथ करार नहीं होता है तो सोयामील और अंततः सोयाबीन की कीमतों में गिरावट होगी।
सरसों वायदा (फरवरी) की कीमतों को 4,020 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकती है। आगामी दो हफ्ते में सरसों के नये स्टॉक की आवक होने की संभावना से कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। खरीदार पुराना स्टॉक खरीदना नहीं चाहते हैं और इस तरह की कोई भी आवक होने की स्थिति में बाजारों में नरमी का रुझान बढ़ सकता है। इस बीच नाफेड के पास लगभग 2.54 लाख टन सरसों का स्टॉक है और आगामी दिनों में इसे बाजार में बेचना जारी रखेगा।
सीपीओ वायदा (फरवरी) की कीमतों को 570-572 रुपये के नजदीक रुकावट रहने की संभावना है और मुनाफा वसूली के कारण नरमी का रुझान रह सकता है। इसके अतिरिक्त भारत में पॉम ऑयल के अधिक आयात से भी कीमतों पर दबाव रह सकता है। (शेयर मंथन, 28 जनवरी 2019)