जीरे में बरकरार रह सकती है 16,000-16,300 रुपये तक तेजी - एसएमसी

जीरा वायदा (मई) की कीमतों में 15,220 के स्तर पर सहारे के साथ 16,000-16,300 रुपये तक तेजी बरकरार रहने की संभावना है।

एसएससी ने जारी (मई) के लिए 15,027 रुपये और 15,353 रुपये पर दो समर्थन स्तर और 15,978 रुपये तथा 16,277 रुपये पर दो बाधा स्तर बताये हैं।
एसएमसी के अनुसार 2018-19 (अप्रैल-मार्च) में जीरे का निर्यात 4.4% की बढ़ोतरी के साथ लगभग 1.50 लाख टन होने के अनुमान से कीमतों को मदद मिल रही है। सीरिया और तुर्की में खराब मौसम के कारण उत्पादन में कमी के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के एकमात्र निर्यानत बने रहने की उम्मीद है। मौजूदा तिमाही में अभी तक निर्यात बाजार में भारतीय जीरे की कीमतें 2,000-2,100 डॉलर प्रति टन के दायरे में हैं।
सीरिया में प्रतिवर्ष लगभग 15,000 टन जीरे का उत्पादन होता है, लेकिन 2018-19 में भारी बारिश के कारण अधिकांश फसल नष्ट हो गयी। वहीं तुर्की में 15,000-20,000 टन और ईरान में 8,000-10,000 टन जीरे का उत्पादन होता है। लेकिन अधिकांश की खपत स्थानीय स्तर पर हो जाती है और शेष जापान को निर्यात किया जाता है।
मौजूदा सीजन में विश्व बाजार में आपूर्ति करने वाला भारत एकमात्र देश है। सीरिया और तुर्की दोनों ही निर्यात बाजार से पूरी तरह बाहर हो गये हैं। इसलिए निर्यातक नयी फसल की आवक में से अच्छी क्वालिटी की खरीदारी करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वतर्मान समय में विश्व बाजार में जीरे जीरे की खरीदारी कम हुई है क्योंकि कारोबारी तुर्की और सीरिया से मई और जून के दौरान नयी फसल की आवक का इंतजार कर रहे हैं। इन देशों में कम उत्पादन के किसी भी संकेत से भारतीय जीरे के निर्यात में तेजी आ सकती है, जिससे कीमतों को मदद मिल सकती है। भारत मुख्यत: चीन, अमेरिका, बांग्लादेश, वियतनाम, ब्राजील और श्रीलंका को जीरे का निर्यात करता है। (शेयर मंथन, 08 अप्रैल 2019)