सोयाबीन और सरसों के लिए है अड़चन - एसएमसी

पिछले दो हफ्र्ते से सोयाबीन वायदा (मई) की कीमतों में गिरावट हो रही है और जवाबी खरीद को 3,740 रुपये के स्तर पर रुकावट का सामना करना पड़ सकता है।

इस वर्ष मॉनसून के लगभग सामान्य रहने के अनुमान के बाद 2019-20 में अधिक उत्पादन अनुमान के कारण कीमतों में नरमी का रुझान है। इसके साथ ही सीबोट में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट से भी नरमी का सेंटीमेंट बना हुआ है। चीन और अमेरिका ने अगले चरण की वार्ता के लिए एक संभावित समय-सीमा तय किया है और जून के प्रारंभ तक समझौता कर लेने का लक्ष्य तय किया है।
सरसों वायदा (मई) कीमतों को 3,810 रुपये के स्तर पर अड़चन का सामना करना पड़ सकता है और कीमतों की बढ़त पर रोक लगी सकती है। चीन की ओर से सरसोंमील की माँग के अभाव और नाफेड द्वारा धीमी खरीदारी के कारण कीमतों पर दबाव रह सकता है।
सोया तेल वायदा (मई) की कीमतों के 740-748 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है। हाजिर बाजारों में कम उपलब्धता और
अधिक माँग के कारण सोया तेल की कीमतों को मदद मिल रही है।
सीपीओ वायदा (मई) की कीमतों के 542-547 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। खाद्य तेलों के बढ़ते आयात के कारण कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। घरेलू स्तर उत्पादित खाद्य तेलों की माँग कम हो रही है क्योंकि आयातित तेल सस्ता है। मार्च में आयातित कुल तेल में रिफाइंड तेलों का हिस्सा काफी बढ़ा है, क्योंकि घरेलू मिलों में सीपीओ की रिफाइनिंग से मुनाफे के मार्जिन में कमी हो रही है। इसलिए भारतीय मिलें कच्चे तेलों की तुलना में रिफाइनिंग तेल का आयात करना पसंद कर रही हैं। (शेयर मंथन, 26 अप्रैल 2019)