कॉटन में नरमी, ग्वारसीड के सीमित दायरे में रहने की संभावना - एसएमसी

कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 21,490-21,700 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
कपड़ा मिलों के लिए अच्छी क्वालिटी की कमी के कारण भारत में मौजूदा फसल वर्ष (अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019) के बीच कपास के आयात में 80% तक वृद्धि होने की संभावना है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में सूखे और देरी से आने वाली कपास की क्वालिटी अच्छी नहीं होने के कारण धागा मिलों की ओर से कपास की खरीदारी कम हो रही है।
इसके साथ ही 2018-19 में कपास का निर्यात पिछले वर्ष के 69 लाख बेल की तुलना में 47 लाख बेल होने के अनुमान के बाद से माँग भी काफी कम हो रही है। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें 175-208 अंकों की गिरावट के साथ कारोबार कर रही हैं। आगामी दिनों में कारोबारी चीन-अमेरिका व्यापार वार्ता की प्रगति पर पैनी नजर रखे हुये हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि चीन 200 अरब डॉलर के सामानों पर आज से टैरिफ को 10% से बढ़ा कर 25% टैरिफ कर दिया जायेगा।
चना वायदा (मई) की कीमतों में 4,480-4,500 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। नाफेड द्वारा नयी फसल की खरीदारी के कारण हाजिर बाजारों में बेहतर माँग के कारण कीमतों को मदद मिल रही है। नाफेड ने तेलंगाना राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश और गुजरात से मूल्य स्थिरीकरण योजना के कारण 1,86,989.50 टन चना की खरीदारी की है।
ग्वारसीड वायदा (मई) की कीमतें 4,370-4,420 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (मई) की कीमतों के 8,800-8,875 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के शुरू होने में एक हफ्ते की देरी और ग्वारगम-ग्वारसीड अनुपात के 1.1 के नजदीक बरकरार रहने से संकेत मिलता है कि कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 10 मई 2019)