बढ़ सकते हैं चने के दाम, मूंग में भी तेजी की संभावना - एसएमसी

कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 19,800-20,100 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
कॉटन की कीमतों में बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। भारतीय कारोबारियों को नये सीजन की फसल के लिए निर्यात करार पर हस्ताक्षर करने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि स्थानीय कीमतें वैश्विक कीमतों से अधिक हैं। कारोबारी आमतौर पर 1 अक्टूबर को शुरू होने से सीजन से पहले लगभग 8,00,000 बेल के निर्यात के लिए करार करते हैं, लेकिन इस साल वे लगभग 3,00,000 बेल ही बेचने में सफल हो पाये हैं। अधिक कीमतों के कारण भारतीय कपास महँगा है। खरीदार ब्राजील और अमेरिका की कपास को पसंद कर रहे हैं।
भारतीय कपास को बांग्लादेश और वियतनाम के खरीदारों को नवंबर से दिसंबर तक निर्यात के लिए लागत और माल ढुलाई सहित 77 सेंट प्रति पौंड पर प्रस्ताव दिया जा रहा है, जबकि अमेरिका और ब्राजील से उन्हे लगभग 70 सेंट पर मिल रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में आईसीई में कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ सीमित दायरे रह सकती हैं और कीमतों को 61.30 सेंट के नजदीक अड़चन रह सकती है। चीन की ओर से खरीद में कमी निराशाजनक है, जबकि फसल के लिए अच्छा मौसम और फसल कटाई की उम्मीदों से कीमतों पर दबाव बढ़ रहा हैं। त्योहारी माँग के कारण चना वायदा (अक्टूबर) में 4,235 रुपये के पास निचले स्तर पर खरीदारी हो सकती है और कीमतें 4,350 रुपये के स्तर तक बढ़त दर्ज कर सकती है। दिवाली तक त्योहारी अवधि के दौरान माँग में वृद्धि के कारण अल्पावधि के लिए खरीद में वृद्धि होने की संभावना है। सफेद मटर की तुलना में कम कीमतों के कारण बेसन के लिए आटा मिलों की ओर से काबुली चना की खरीदारी तेजी से बढ़ रही है।
इस सीजन में कम उत्पादन के कारण मूंग वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 5,900 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। 2019-20 के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार मूंग का उत्पादन 2018-19 के 15.8 लाख टन की तुलना में 14.2 लाख टन होने का अनुमान है। (शेयर मंथन, 30 सितंबर 2019)