ग्वारसीड में मंदी, कॉटन की कीमतों में गिरावट के संकेत - एसएमसी

कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 17,600-17,500 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है।

मिल की ओर से कमजोर माँग के कारण उत्तर भारत में कपास की कीमतों में 40 रुपये प्रति मौंड की गिरावट हुई है। पिछले दो कारोबारी सत्रों में कीमतों में 50 रुपये प्रति मौंड की गिरावट हुई है। कारोबारियों के अनुसार ऊंची दरों पर कपास खरीदने को लेकर खरीदार इच्छुक नहीं हैं। छोटी मिलें बाजार से पूरी तरह से बाहर हो गयी है, जिसके कारण विक्रेताओं ने कीमतों में कमी की। एक पखवाड़े में नयी फसल की आवक के अनुमान के कारण कपास की कीमतों पर अतिरिक्त दबाव है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम के कारण फसल के नुकसान की चिंताओं और डॉलर के कमजोर होने के कारण आईसीई में कॉटन वायदा (दिसम्बर) की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
ग्वारसीड वायदा (सितम्बर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 4,020-4,120 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (सितम्बर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 6,400-6,600 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। राजस्थान और हरियाणा के बाजारों में ग्वार कॉम्प्लेक्स की कीमतों में गिरावट देखी गयी है क्योंकि खरीदार थोक खरीद के लिए अनिच्छुक थे। ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों में 70 रुपये प्रति क्विंटल तक गिरावट हुई है। कीमतों में गिरावट के लिए व्यापारियों ने जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर में अच्छी बारिश के लिए जिम्मेदार ठहराया। चना वायदा (सितम्बर) की कीमतें अपने तेजी को जारी रखते हुये 5,050 रुपये के स्तर की ओर बढ़ सकती है।

इंदौर की मंडियों में अधिकांश दालों की माँग में तेजी देखी गयी है। लॉकडाउन मानदंडों में ढील के साथ माँग में धीरे-धीरे सुधर होने से विशेष रूप से लंबे त्यौहारी सीजन की शुरुआत को देखते हुये दालों की माँग को बढ़ावा मिलेगा। जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं जबकि होटल अपने व्यवसाय को फिर से शुरू कर रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में भी माँग बढ़ सकती हैं। (शेयर मंथन, 01 सितम्बर 2020)