चने में उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली के संकेत - एसएमसी

कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 17,800-18,000 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार करने की संभावना है।

ऐसी खबर है कि भारत की शीर्ष 10 निर्यात वस्तुओं में से एक कपड़ा और परिधन, अमेरिका में बड़े खुदरा विक्रेताओं की घटती संख्या के कारण घरेलू कंपनियों को भारी मात्रा में डिस्काउंट स्टोर और फैशन कंपनियों की सटीक माँगों पर निर्भर हो गयाा है। इसके अलावा, माल भाड़ा कंटेनर की आपूर्ति कम हैं क्योंकि आयात में भारी गिरावट का मतलब है कि भारतीय बंदरगाहों पर कम कंटेनर पहुँच रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में, कोविड-19 वैश्विक कपास बाजार में अनिश्चितता का एक केंद्रीय स्रोत बना हुआ है। अमेरिका में प्रकोप के बढ़ने के अलावा कई अन्य देशों में दैनिक मामलों की दरों में वृद्धि से पता चलता है कि कैसे दुनिया को अभी तक महामारी को पूर्ण नियंत्राण में लाना है।
पिछले हफ्ते, नेफेड के पास कम होते स्टॉक के कारण चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 52 हफ्ते के उच्च स्तर 5,245 पर पहुँच गयी थी। अब कीमतों के 5,350-5,400 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। इसके अलावा, नेफेड (पीएमजीकेवाई) के माध्यम से चना वितरित कर रहा है और बंफर स्टॉक के लिए 3 लाख टन आवंटित किये जाने की संभावना है। इसके अलावा, खबर है कि मध्य प्रदेश ने 2020-21 (जुलाई-जून) में तुअर, उड़द, और मूंग जैसे खरीफ दालों की खरीद के लिए मूल्य समर्थन योजना के तहत 11.6 रुपये खर्च करने की तैयारी कर रहा है।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) में 3,900 रुपये के आसपास के निचले स्तर से खरीदारी देखी जा सकती है और 4,050 रुपये तक बढ़ोतरी हो सकती है और ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,100-6,200 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार कर सकती है। वर्तमान परिदृश्य में, स्टॉकिस्ट निचले स्तर पर ग्वारसीड बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। मैनुफैक्चर भी 6,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे ग्वारगम नहीं बेच रहे हैं। उन्हे उम्मीद हैं कि कम उत्पादन क्षेत्रा और खाद्य, कॉस्मेटिक और फार्मा उद्योगों की ओर से माँग बढ़ने के कारण जल्द ही कीमतें बढ़ेंगी। (शेयर मंथन, 14 सितंबर 2020)