चने और कॉटन में तेजी का रुझान - एसएमसी

कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 19,000-19,100 रुपये के स्तर पर पहुँच जाने की संभावना है।

तूफान डेल्टा के कारण फसल नुकसान की खबरों से अंतरराष्ट्रीय बाजार से सकारात्मक संकेत और घरेलू बाजार में खरीद की खबर से कीमतों को मदद मिल सकती है। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया 125 लाख बेल (एक बेल 170 किलोग्राम) कपास खरीदेगा, जो पिछले सीजन में खरीदे गये 105 लाख बेल से 20 लाख बेल अधिक है।
चना वायदा की कीमतों में तेजी बरकरार रहने की उम्मीद है, इसलिए नवंबर कॉन्टैंक्ट की कीमतें 5,520-5,600 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है। त्यौहारी सीजन से पहले मिलों की ओर से कम उपलब्धता और जोरदार खरीदारी के दम पर पिछले कुछ समय से इंदौर की मंडियों में चना की कीमतों तेजी का सेंटीमेंट बना हुआ है। दूसरी बात यह है कि मध्य प्रदेश सरकार ने मंडी कर को मौजूदा 1.70 रुपये से घटाकर 50 पैसे करने पर सहमति जतायी, जिससे मध्य प्रदेश की सभी 270 मंडियों में पिछले सप्ताह से कारोबार फिर से शुरू हो गया है।
ग्वारसीड वायदा (नवम्बर) की कीमतें 4,030-4,000 रुपये के सीमित दायरे में स्थिर कारोबार कर सकती है। लेकिन ग्वारगम वायदा (नवम्बर) की कीमतें 6,090-6,050 रुपये तक लुढ़क सकती है। अमेरिकी बाजार से माँग की चिंता के कारण ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतें दबाव में रहीं। हाजिर बाजारों में ग्वारगम की कीमतें 20 रुपये प्रति क्विंटल घट गयी। ग्वारसीड की कीमतें भी 25 रुपये प्रति क्विंटल कम हो गयी। ग्वारगम की कीमतों में गिरावट की वजह से ग्वारगम कॉम्प्लेक्स की मूल्य निर्धारण संरचना बाधित हुई। इसलिए, ग्वारगम मैन्युफैक्चरों को उत्पादन के दौरान भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्वारगम निर्माताओं को लगभग 400 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है, अगर वे वर्तमान मूल्य स्तर पर ग्वार खरीदते हैं और मौजूदा कीमतों पर बेचते हैं। नयी ग्वारगम की फसल की आवक पश्चिमी राजस्थान और हरियाणा में हो रही है। लेकिन कुछ व्यापारियों ने कहा कि आवक पिछले सीजन की समान अवधि के आधे के आसपास है। (शेयर मंथन, 13 अक्टूबर 2020)