चने और ग्वारसीड में हो सकती है गिरावट, कॉटन में तेजी का रुझान - एसएमसी

कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 19,300 रुपये के स्तर पर पहुँच जाने की संभावना है।

तूफान डेल्टा के कारण फसल नुकसान की खबरों से अंतरराष्ट्रीय बाजार से सकारात्मक संकेत और घरेलू बाजार में खरीद की खबर से कीमतों को मदद मिल सकती है। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया 125 लाख बेल (एक बेल 170 किलोग्राम) कपास खरीदेगा, जो पिछले सीजन में खरीदे गये 105 लाख बेल से 20 लाख बेल अधिक है।
चना वायदा नवंबर कॉन्टैंक्ट की कीमतें 5,350 रुपये तक लुढ़क सकती है। 13 अक्टूबर 2020 को जारी एक अधिसूचना में, विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने योग्य आवेदकों को वित्तीय वर्ष 2020-21 में चार लाख मीटिंक टन तुअर दाल के आयात के लिए कोटा आवंटित किया है। डीजीएफटी के तहत क्षेत्रीय अधिकारियों से अनुरोध है कि वे सत्यापित आवेदकों को तत्काल आधार पर लाइसेंस जारी करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। तुअर के आयात के लिए जारी किये जाने वाले लाइसेंस की वैधता 15 नवंबर 2020 होगी, क्योंकि आयातित तुअर 15.11.2020 तक भारतीय बंदरगाहों पर आनी चाहिये।
ग्वारसीड वायदा (नवम्बर) की कीमतों में 3,930 रुपये तक गिरावट हो सकती है। लेकिन ग्वारगम वायदा (नवम्बर) की कीमतें 5,800 रुपये तक लुढ़क सकती है। अमेरिकी बाजार से माँग की चिंता के कारण ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतें दबाव में रहीं। हाजिर बाजारों में ग्वारगम की कीमतें 20 रुपये प्रति क्विंटल घट गयी। ग्वारसीड की कीमतें भी 25 रुपये प्रति क्विंटल कम हो गयी। ग्वारगम की कीमतों में गिरावट की वजह से ग्वारगम कॉम्प्लेक्स की मूल्य निर्धारण संरचना बाधित हुई। इसलिए, ग्वारगम मैन्युफैक्चरों को उत्पादन के दौरान भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्वारगम निर्माताओं को लगभग 400 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है, अगर वे वर्तमान मूल्य स्तर पर ग्वारगम खरीदते हैं और मौजूदा कीमतों पर बेचते हैं। नयी ग्वारगम की फसल की आवक पश्चिमी राजस्थान और हरियाणा में हो रही है। लेकिन कुछ व्यापारियों ने कहा कि आवक पिछले सीजन की समान अवधि के आधे के आसपास है। (शेयर मंथन, 15 अक्टूबर 2020)