कॉटन और ग्वारसीड की कीमतों में गिरावट के संकेत - एसएमसी

कॉटन वायदा (नवम्बर) की कीमतों में 19,500-19,400 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है।

मिलों की ओर से कम खरीदारी और दैनिक आवक में सुधार के बीच, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस सप्ताह लगातार तीसरे दिन कपास की कीमतें स्थिर रहीं। मिलों की ओर से कम खरीदारी के कारण महाराष्ट्र में कपास की कीमतों में लगातार दूसरे दिन स्थिरता रही। व्यापारियों ने खुलासा किया कि नयी आपूर्ति में नमी की मात्रा अधिक है जिसके कारण महाराष्ट्र में भारतीय कपास निगम या राज्य एजेंसियों ने एमएसपी पर खरीद शुरू नहीं की है। मिलों की ओर से कम खरीदारी और दैनिक आवक में बढ़ोतरी के कारण मध्य प्रदेश में कपास की कीमतों में लगातार दूसरे दिन स्थिरता रही।
चना वायदा (नवम्बर) की कीमतों के 5,240-5,340 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। ऐसी खबर है कि चना की कीमतों के अधिक 5,000-5,100 रुपये प्रति क्विंटल होने के बाद उद्योग दलहन फसल पर आयात शुल्क में कमी करने की माँग कर रहा हैं। चना पर आयात शुल्क 60 फीसदी है। लेकिन सरकार ने व्यापारियों के अनुरोध पर ध्यान देने से इनकार कर दिया है क्योंकि इससे उन किसानों के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे जो अपनी रबी की फसल बोने के लिए तैयार हैं।
ग्वारसीड वायदा (नवम्बर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,200-4,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है और ग्वारगम वायदा (नवम्बर) की कीमतों में 6,400 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के हाजिर बाजारों में ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है। ग्वारगम की हाजिर माँग औसत रही, लेकिन ग्वारसीड की माँग कमजोर रही। हाजिर बाजारों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। राजस्थान के जोधपुर बाजार में ग्वारसीड का कारोबार 25 रुपये रुपये के नुकसान के साथ 4,150-4,200 रुपये प्रति क्विंटल के दसरे में हुआ। ग्वारगम की कीमतें भी 100 रुपये की गिरावट के साथ 6,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गयी। ग्वारगम पाउडर भी उसी अनुपात में गिरावट हुई। (शेयर मंथन, 29 अक्टूबर 2020)