जीरे में बाधा, हल्दी की कीमतों में स्थिर रहने की संभावना - एसएमसी

हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 5,650-5,750 रुपये के दायरे में स्थिर रहने की संभावना है।

कल भारत के प्रमुख बाजारों में हाजिर हल्दी की कीमतों में मिला-जुला रुझान रहा। पूरे सप्ताह में हल्दी की कीमतों में इसी तरह की प्रवृत्ति बनी रही। निजामाबाद में सभी किस्मों के लिए कीमतें स्थिर रहीं। केवल फिंगर किस्म की हल्दी की कीमतें 100 रुपये की गिरावट के साथ 6,500-6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुँच गयी जबकि पिछले सत्र में 1,500 बैग की तुलना में 2,000 बैग हल्दी की आवक हुई। इस बीच, बासमतनगर मंडी में 2,000 बैग की आवक के साथ हल्दी की दोनों किस्मों की कीमतों में स्थिरता रही। सांगली मंडी में 1500 बैग के आवक के साथ गाथा और फिंगर किस्मों की कीमों में 200 रुपये की बढ़ोतरी हुई। इस बीच वारंगल मंडी ने 70 बैग बैग की तुलना में 200 बैग की आवक हुई लेकिन फिंगर वेराइटी की कीमतों में 300 रुपये की बढ़ोतरी हुई जबकि केसुद्रम और इरोड मंडी में 200 बैग और 1,200 बैग की आवक के साथ कीमतें स्थिर रही।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों को 14,150 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है जबकि शॉर्टकवरिंग पर रोक लग सकती है। गुरुवार को दिवाली की लंबी छुट्टी के बाद बाजार फिर से खुलने के बाद भी हाजिर जीरा की कीमतें अपरिवर्तित रहीं। पिछले सप्ताह तक, ऊंझा और राजकोट की मंडियों में जीरा की कीमतों में लगातार गिरावट का रुझान रहा है क्योंकि कारोबारियों की नजर आगामी फसल में बोआई के रुझान पर थी। दीपावली के त्यौहार के बाद खुदरा बाजारों की माँग थोड़ा सा कम रहने की संभावना है, जिससे थोक खरीदारी पर रोक लगी रह सकती है। राजकोट में, जीरा की सभी किस्मों की कीमत पिछले सत्र से अपरिवर्तित रही।
धनिया वायदा (दिसंबर) को 6,630 रुपये के पास प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, कीमतों में वृद्धि के बाद बिकवाली देखी जा सकती है और कीमतें 6,500-6,450 रुपये के स्तर तक लुढ़क सकती है। हाजिर बाजारों से रुझानों की कमी के कारण भी गिरावट हो रही है। राजस्थान के प्रमुख व्यापारिक केंद्र कोटा में 8,000 बैग धनिया की आवक दर्ज की गयी है। (शेयर मंथन, 20 नवंबर 2020)