चने में थम सकती है बढ़त, ग्वारसीड में गिरावट के संकेत - एसएमसी

कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 20,200-20,400 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना हैं।

कर्नाटक में, मौसम की स्थिति अनुकूल है और बाजारों में जनवरी के मध्य तक आवक दबाव देखा जा सकता है। निजी धागा मिलों और स्टॉकिस्टों की ओर से कमजोर माँग के कारण आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मंडियों में कपास की कीमतों में कमी हुई है। राजस्थान में कपास की सभी किस्मों की कीमतों में 200 रुपये प्रति कैंडी की कमी हुई। महाराष्ट्र में कीमतों में 100-150 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट हुई है। इसके परिणामस्वरूप निजीधगा मिलों की ओर से कमजोर माँग रही, जबकि दैनिक कपास की आवक में वृद्धि हुई है। निजी धागा मिलों और स्टॉकिस्टों की ओर से कमजोर माँग के कारण मध्य प्रदेश में कपास की कीमतों में दूसरे सीधे सत्र के लिए 100-150 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट दर्ज की गयी।

चना वायदा की कीमतें 4,500-4,600 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है, क्योंकि बढ़ते उत्पादन क्षेत्र के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लग रही है। नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि दलहन का कुल क्षेत्रा 9% बढ़कर 131 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले वर्ष की तुलना में महाराष्ट्र, ओडिशा और झारखण्ड में अधिक बुवाई हुई है। चने की खेती में लगभग 13% की वृद्धि हुई है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की ऊंची कीमतों से सकारात्मक संकेत लेते ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 3,800-3,750 रुपये तक गिरावट सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतें 5,800-5,750 रुपये तक लुढ़क सकती है। जोधपुर में मिलों ग्वारगम की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है। मिलों ने ग्वारसीड की खरीद कीमतों में भी 40 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की है। जोधपुर में मिलों ने 3,750-3,825 रुपये क्विंटल के दायरे में ग्वारसीड की खरीदारी की है। (शेयर मंथन, 23 दिसंबर 2020)