ग्वारगम में नरमी, कॉटन में तेजी बरकरार रहने की संभावना - एसएमसी

अंतरराष्ट्रीय बाजार के तर्ज पर एमसीएक्स में कॉटन वायदा की कीमतें दो साल के उच्च स्तर 21,720 रुपये पर पहुँच गयी है।

अधिक माँग के कारण आईसीई में कॉटन की कीमतें करीब ढाई साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी हैं और अभी भी तेजी बरकरार हैं। घरेलू बाजार में, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 सीजन के दौरान खपत अब लॉकडाउन से पहले के स्तर 330 लाख बेल तक पहुँचने की उम्मीद है। कॉटन (मार्च) कॉन्टैंक्ट की कीमतों में 21,960 रुपये के पास सहारा के साथ 22,060 रुपये तक तेजी जारी रह सकती है।

ग्वारगम कॉम्प्लेक्स में नरमी का सेंटीमेंट है क्योंकि ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों के जनवरी 2020 के बाद से अधिकतम स्तर 65 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच जाने के बावजूद ग्वारगम की निर्यात माँग अदृश्य है। इसके अलावा, मिलों की ओर से ग्वारसीड की आवश्यकता भी काफी कम हो गयी है क्योंकि मौजूदा कीमतों पर ग्वारगम का उत्पादन लाभदायक नहीं रह पाया है, इसलिए उन्होंने संयंत्रा संचालन क्षमता को कम कर दिया है। इस हफ्ते, ग्वारसीड (मार्च) में बिकवाली जारी रह सकती है और कीमतें 3,750 के स्तर तक लुढ़क सकती है। इसी तरह, ग्वारगम (मार्च) की कीमतें 6,130 रुपये के पास अड़चन के साथ 6,000-5,900 रुपये तक लुढ़क सकती हैं।

चना वायदा (मार्च) की कीमतों के 4,575-4,640 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। महाराष्ट्र में विदर्भ और मराठावाड़ा के प्रमुख चना उत्पादन क्षेत्रों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसके बाद सरकार ने इस क्षेत्र में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए आज से लॉकडाउन की घोषणा की है। सरकार के फैसले का समर्थन करते हुये अमरावती मंडी ने बंद का आ“वान किया है, जबकि विदर्भ क्षेत्र की अन्य मंडियों ने कल से परिचालन समय में प्रतिबंध लगा दिया है। इसका चना की उपलब्धता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह सीधे मिलरों के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा लेकिन उन्हे श्रमिकों की उपलब्धता में अनिश्चितता रह सकती है। दाल और बेसन में माँग सुस्त बनी हुई है। (शेयर मंथन, 24 फरवरी 2021)