ग्वारगम में नरमी का रुझान, कपास में बढ़त की उम्मीद - एसएमसी

कॉटन (मार्च) कॉन्टैंक्ट की कीमतों के 21,190-21,350 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। घरेलू वायदा के साथ-साथ प्रमुख कपास मंडियों में घरेलू कपास की हाजिर दरों में वृद्धि हुई है।

उत्तर भारत में कपास की कीमतों में 30-60 रुपये प्रति मौंड और निचले राजस्थान में 250-400 रुपये प्रति कैंडी की वृद्धि दर्ज की गयी है। मध्य भारत में और गुजरात कपास की किस्मों में 150-250 रुपये प्रति कैंडी की बढ़ोतरी हुई और एमपी और महाराष्ट्र में कीमतें 300-500 रुपये प्रति कैंडी बढ़ी है। रहीं। इस बीच, यूएसडीए के अनुसार 2020/2021 में अमेरिकी कपास की साप्ताहिक बिक्री 2,47,800 रनिंग बेल हुई है जो पिछले 4 सप्ताह के औसत से 1 प्रतिशत कम है।

ग्वारगम कॉम्प्लेक्स में नरमी का सेंटीमेंट है क्योंकि ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों के जनवरी 2020 के बाद से अधिकतम स्तर 67 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच जाने के बावजूद ग्वारगम की निर्यात माँग अदृश्य है। इसके अलावा, मिलों की ओर से ग्वारसीड की आवश्यकता भी काफी कम हो गयी है क्योंकि मौजूदा कीमतों पर ग्वारगम का उत्पादन लाभदायक नहीं रह पाया है, इसलिए उन्होंने संयंत्रा संचालन क्षमता को कम कर दिया है। इस हफ्ते, ग्वारसीड (मार्च) की कीमतें 3,820-3,920 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है। इसी तरह, ग्वारगम (मार्च) की कीमतें 6,100-6,200 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं।

चना वायदा (मार्च) की कीमतों के 4,750-4,850 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। महाराष्ट्र में विदर्भ और मराठावाड़ा के प्रमुख चना उत्पादन क्षेत्रों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसके बाद सरकार ने इस क्षेत्र में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए आज से लॉकडाउन की घोषणा की है। सरकार के फैसले का समर्थन करते हुये अमरावती मंडी ने बंद का आ“वान किया है, जबकि विदर्भ क्षेत्र की अन्य मंडियों ने कल से परिचालन समय में प्रतिबंध लगा दिया है। इसका चना की उपलब्धता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह सीधी मिलरों के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा लेकिन उन्हे श्रमिकों की उपलब्धता में अनिश्चितता रह सकती है। दाल और बेसन में माँग सुस्त बनी हुई है। (शेयर मंथन, 26 फरवरी 2021)