कॉटन वायदा (जुलाई) का अधिक खरीदारी के दायरे में कारोबार हो रहा है और मॉनसून के आगे बढ़ने के साथ इसके 25,000 रुपये के स्तर तक गिरावट होने की उम्मीद है।
वर्तमान में, अनियमित वर्षा वितरण के कारण सभी कपास उत्पादक राज्यों में बुवाई का रकबा पिछड़ रहा है। यूएसडीए का अनुमान है कि भारत विश्व कपास उत्पादन में लगभग 24% योगदान करने वाला सबसे बड़ा उत्पादक देश होगा। आने वाले हफ्तों में बुवाई में तेजी आने की उम्मीद है। नवीनतम घटनाक्रम में, भारत प्रति वर्ष 10 लाख गांठ कपास निर्यात करने के लिए बांग्लादेश के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, अक्टूबर से शुरू होने वाले मौजूदा कपास वर्ष के पहले 8 महीनों में देश से कपास का निर्यात 100% से अधिक बढ़ गया है। जून 2021 तक कपास का निर्यात 63 लाख गांठ तक पहुँच गया है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने चालू सीजन के लिए 72 लाख गांठ निर्यात का अनुमान लगाया है।
ग्वारसीड वायदा (अगस्त) की कीमतों के तेजी के रुख के साथ 4,380 रुपये के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है, जिसका प्रमुख कारण मुख्य ग्वारगम उत्पादक राज्य राजस्थान में अनियमित वर्षा है। ग्वारसीड की कीमतें अप्रैल से अब तक 4,000 रुपये के स्तर से ऊपर कारोबार कर रही हैं जो अब एक अच्छा सहारा है। पाँच साल के औसत 3.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 2.6 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के साथ राजस्थान में ग्वार की खेती का रकबा घट रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में ग्वारगम के निर्यात में भी पिछले वर्ष की तुलना में 35% से अधिक की गिरावट आयी है।
कारोबारियों की ओर से लगातार माँग के कारण चना वायदा (अगस्त) की कीमतों के 4,700-5,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। सरकार द्वारा दालों के स्टॉक की सीमा लगाये जाने और सरकारी वेबसाइट पर अपने स्टॉक की घोषणा करने के लिए कहने के बाद दाल उद्योग के सेंटीमेंट में गिरावट हुई है। बड़े कॉरपोरेट्स और आयातकों की ओर से बिकवाली का दबाव देखा जा रहा है। नॉफेड भी अपने पुराने चना को 4,400-4,500 रुपये की कम कीमत पर बाजार में बेच रहा है। (शेयर मंथन, 28 जुलाई 2021)