हल्दी की कीमतों में गिरावट की उम्मीद - एसएमसी साप्ताहिक रिपोर्ट

हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले हफ्ते गिरावट दर्ज की गयी क्योंकि निर्यात के आँकड़े उत्साहजनक नहीं हैं जबकि हाजिर बाजार में नये सीजन की आवक बढ़ रही है।

अब कीमतें 9,700 रुपये पर अहम बाधा 8,000 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है। वर्तमान में, कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में केवल 3.4% अधिक हैं। फिलहाल नये सीजन की हल्दी बाजार में दस्तक दे रही है लेकिन इस सीजन में निर्यात सामान्य है। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में हल्दी का निर्यात दिसंबर 2021 के 14,275 टन की तुलना में 25% घटकर 10,600 टन रह गया है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 10 महीनों (अप्रैल-जनवरी) में, निर्यात पिछले साल की तुलना में 20.1% घटकर 1.27 लाख टन रह गया है लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 9.2% अधिक है।
जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतें 5 सप्ताह के निचले स्तर तक लुढ़क गयी, लेकिन कारोबारियों की ओर से अच्छी माँग के कारण पिछले सप्ताह कीमतें बढ़त के साथ बंद हुई। यदि कीमतें आने वाले सप्ताह में तत्काल सहारा से नीचे टूटती है तो आगे अधिक गिरावट दर्ज कर सकती है क्योंकि नये सीजन का जीरा भी बाजार में आ जायेगा और अगले एक महीने में अधिकतम आवक शुरू हो जायेगी। ऊँझा में पुरानी और नयी फसल की आवक पिछले सप्ताह 15,000 बोरी की तुलना में प्रतिदिन लगभग 25,000 बोरी (बोरी=55 किलोग्राम) हो गयी है। नये साल में, जीरा की कीमतों में 29% से अधिक की वृद्धि हुई है और वर्तमान में गुजरात और राजस्थान राज्य में कम बुआई क्षेत्र और अत्यधिक ओस के कारण फसल नुकसान के कारण कम उत्पादन की खबरों पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 46.7% अधिक हैं। 2021-22 में, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.69 लाख हेक्टेयर था और दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार उत्पादन पिछले वर्ष के 4 लाख टन की तुलना में 41% घटकर 2.37 लाख टन होने की उम्मीद है। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में जीरा निर्यात 19% बढ़कर 14,725 टन हो गया, जबकि दिसंबर 2021 में 12,385 टन था। लेकिन अप्रैल-जनवरी में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 23% घटकर 1.88 लाख टन रह गया है जबकि पिछले साल 2.44 लाख टन हुआ था।

धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतें पिछले सप्ताह 5 सप्ताह के निचले स्तर पर फिसल गयी, लेकिन निचले स्तर की खरीदारी के कारण सपाट बंद हुई। अब कीमतों को बाधा 11,150 रुपये के स्तर पर और सहारा 10,380 रुपये के स्तर पर रहा है। यदि कीमतें इस रुकावट स्तर को पार करती है तो कीमतें 11,500 रुपये तक बढ़ सकती है। सामान्य की तुलना में कम रकबे के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 54.6% अधिक और जनवरी के बाद से 23% अधिक हैं, क्योंकि किसान पिछले साल कम आमदनी के कारण अन्य फसलों में स्थानांतरित हो गए हैं और कम उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं जबकि अधिक कीमतों के कारण निर्यात सामान्य है। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में धनिया का निर्यात दिसंबर 2021 में 4,630 टन की तुलना में 15% कम होकर 3,590 टन रह गया है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में निर्यात पिछले साल के 48,350 टन से 15% घटकर 41,100 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 14 मार्च 2022)