औद्योगिक इस्तेमाल और सोलर पैनल के लिए माँग से मिलेगी चांदी की कीमतों दिशा - एसएमसी

2018 में चांदी का कारोबार सोने के नक्शेकदम पर हुआ, क्योंकि चांदी की कीमतों के लिए सोना प्रमुख संकेतक है।

चांदी की कीमतों में दो वर्षो की बढ़त के बाद पिछले वर्ष गिरावट हुई। व्यापार युद्ध के कारण बेस मेटल की कीमतों में गिरावट और डॉलर के मजबूत होने से चांदी की कीमतों पर दबाव पड़ा। चांदी की कीमतें अक्सर सोने और बेस मेटल की कीमतों का अनुसरण करती हैं, क्योंकि इसकी विशेषताएँ दोहरी प्रकृति की हैं। कॉमेक्स में चांदी की कीमतें 13.86-17.57 डॉलर और एमसीएक्स में 35,776-41698 रुपये के काफी कम दायरे में कारोबार करती रहीं। चांदी की कीमतों को कॉमेक्स में 13.85 डॉलर के स्तर पर और एमसीएक्स में 35,500 रुपये पर अहम सहारा मिला।
एमसीएक्स में चांदी का कारोबार काफी कम दायरे में हुआ। पहली छमाही में चांदी की कीमतों को 41,500 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ा, लेकिन दूसरी छमाही में रुपये के मजबूत होने और बेस मेटल में गिरावट के बाद बिकवाली का दबाव पड़ने से कीमतें 36,000 रुपये से नीचे लुढ़क गयीं। जीएफएमएस के अनुसार 2018 में विश्व चांदी बाजार में सरप्लस 2017 के 24 लाख औंस से बढ़ कर 3.53 करोड़ औंस हो सकता है। 2017 में चांदी की कुल आपूर्ति में 1.5% की गिरावट के बाद 2018 में 0.3% की बढ़ोतरी के साथ 99.84 करोड़ औंस हो जाने का अनुमान है। ऐसा खदानों से आपूर्ति में वृद्धि के कारण हुआ है, जहाँ कुल उत्पादन पिछले वर्ष के 85.21 करोड़ औंस की तुलना में 86.55 करोड़ औंस होने का अनुमान है। दूसरी ओर विश्व स्तर पर चांदी की फिजिकल मांग 2017 के 99.28 करोड़ औंस की तुलना में 2018 में 3% कम होकर 96.3 करोड़ औंस रहने का अनुमान है। चांदी की मांग में उसके बार और सिक्कों की मांग की अहम भूमिका होती है, जो 12.2% की कमी के साथ 12.48 करोड़ औंस रह सकती है।
2019 में औद्योगिक इस्तेमाल, सोलर पैनल और प्रिंटिंग स्याही के लिए चांदी की मांग से कीमतों को दिशा मिलेगी। चीन और अमेरिका के बीच गहराते व्यापार तनाव के साथ ही विकासशीलदेशों की समस्याओं के कारण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर सवाल खड़े होने लगे हैं, जिससे चांदी बाजार और उसकी औद्योगिक मांग पर दबाव पड़ रहा है।
सोने और चांदी का अनुपात 2018 में सोने की तुलना में चांदी ने निःसंदेह कमजोर प्रदर्शन किया है, जो सोने-चांदी के अनुपात से पता चलता है, जो कॉमेक्स में 76.5 से बढ़ कर 86.5 हो गया है। यह पिछले 25 वर्षो में उच्चतम स्तर है। सोने और चांदी का अनुपात कई दशकों के प्रतिरोध स्तर की ऊपरी सीमा पर है। यहाँ से अगले 6 से 9 महीने के भीतर यह नीचे लुढ़क सकता है। पिछले 20 वर्षो से अनुपात के औसतन 60 के सामान्य स्तर को देखते हुए 2019 में चांदी की कीमतों में वृद्धि की प्रबल संभावना है और प्रतिशत आधार पर गिरावट की संभावना काफी कम है।
2019 में चांदी का कारोबार सोने के नक्शेकदम पर भी होने की उम्मीद है, जिस पर वैश्विक सामरिक एवं बड़े आर्थिक कारकों का असर पड़ सकता है। जहाँ तक कीमतों में बदलाव का संबंध है, तो कीमतों में उठापटक बरकरार रहने की संभावना है, क्योंकि अपनी दोहरी प्रकृति के कारण चांदी की कीमतें बेस मेटल की कीमतों में बदलाव से भी प्रभावित होती हैं। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध से भी 2019 में चांदी की कीमतें प्रभावित होती रह सकती है। इस बीच 2019 में मध्यम अवधि में अमेरिकी ब्याज दरों को लेकर बाजार के अनुमान में बदलाव से अमेरिकी डॉलर और इस कारण चांदी की कीमतों की दिशा तय हो सकती हैं। 2018 में बेस मेटल की कीमतों में तेजी के बावजूद सोने की तुलना में चांदी ने कमजोर प्रदर्शन किया है। कीमती धातुओं में सोना प्रमुख संकेतक है। 2019 में चांदी की कीमतें सोने की कीमतों से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।
एसएमसी के मुताबिक 2019 में एमसीएक्स में चांदी की कीमतें 33,000-45,000 रुपये और कॉमेक्स में 13.4-19 डॉलर के दायरे में रह सकती हैं। (शेयर मंथन, 11 जनवरी 2019)