डॉलर में मजबूती से धातुओं की कीमतों पर दिखेगा दबाव

अभी अधिकांश धातुओं के भाव 52 सप्ताह के निम्नतम स्तर के आस-पास हैं।

पिछले दो महीनों में कॉपर और एल्युमीनियम के भावों में तेज गिरावट देखी गयी है। इन्वेंट्री में कमी की वजह से लंदन मेटल एक्सचेंज और शंघाई फ्यूचर्स एक्सचेंज दोनों पर लेड और जिंक को थोड़ा समर्थन मिला है, लेकिन अभी भी दोनों धातुएँ अपने निम्नतम वार्षिक स्तर के करीब हैं। निकेल की कीमतों में थोड़ा मजबूती जरूर देखी गयी, लेकिन खरीदारी के अभाव में भावों पर फिर दबाव देखा गया है।
दिसंबर में अगले फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के दौरान ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे डॉलर में भी सुदृढ़ता आयेगी। यह धातुओं की कीमतों के लिए नकारात्मक संकेत है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता में प्रगति की कमी आधार धातु की कीमतों के लिए अत्यधिक नकारात्मक भावनाओं को पनपा रही है।
ऑस्ट्रेलिया के अल्कोआ में एल्युमिना संयंत्र में हड़ताल समाप्त करने के लिए श्रमिकों के समझौते ने एल्युमिना बाजार में आपूर्ति घटने की आशंका को लगभग समाप्त कर दिया है। इसके बाद वैश्विक एल्युमीनियम प्रीमियम में गिरावट देखी गयी है। हाल के महीनों में, चीन से निर्यात सालाना 30% से ज्यादा बढ़ गया है। ऑटोमोबाइल बिक्री जो घरेलू माँग का प्रमुख चालक है, उसमें 11.7% की गिरावट देखी गयी है।
इसके साथ, रुझानों में कमजोरी बनी रहने की संभावना देखी जा रही है, क्योंकि 2018-19 की सर्दियों में एल्युमीनियम उत्पादन पर चीन के प्रतिबंध पिछले साल की तरह कड़े नहीं होंगे, क्योंकि प्रमुख राज्य अपने उत्सर्जन मानकों को बनाये रखेंगे।
एलएमई की इन्वेंट्री में कमी एल्युमीनियम की कीमतों के लिए एकमात्र सकारात्मक खबर है। इसके अलावा, 12 दिसंबर को रुसल पर आने वाली अमेरिकी मंजूरी मांग-आपूर्ति संतुलन में बदलाव कर सकती है।
अल्पावधि में, एल्युमिना की कीमतों में अपेक्षित गिरावट के साथ जैसी आपूर्ति बढ़ेगी, उससे एल्युमीनियम की कीमतों पर बिक्री का दबाव बना रहेगा। एमसीएक्स पर एल्युमीनियम की मौजूदा कीमतें 145 रुपये प्रति किलो से घट कर 135-138 रुपये प्रति किलो तक हो सकती हैं। (शेयर मंथन, 12 नवंबर 2018)