रुपये के मजबूत होने पर सीमित हो जायेगी सोने की चमक - एसएमसी कमोडिटीज

एसएमसी कमोडिटीज ने 2019 के लिए अपनी वार्षिक कमोडिटी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि 2016 और 2017 में सोने की कीमतों में तेजी के बाद 2018 में तेजी पर लगाम लग गयी।

पिछले वर्ष आश्चर्यजनक रूप कई देशों के बीच पूरे वर्ष सामरिक तनाव, चाहे अमेरिका और उत्तर कोरिया बीच युद्ध जैसी स्थिति हो या अमेरिका-ईरान तनाव हो या मध्य-पूर्व का तनाव हो या कच्चे तेल की अधिक कीमतें हो, करेंसियों में सुस्ती हो या अन्य कई घटनाएँ, के बावजूद सोने में सुरक्षित निवेश के लिए बहुत अधिक खरीदारी नहीं हो सकी। डॉलर इंडेक्स में मजबूती के कारण सोने की कीमतों में सामान्यत नरमी के साथ ही कारोबार हुआ। सोने में थोड़ी मजबूती तभी दर्ज की गयी, जब इक्विटी बाजार में गिरावट हुई और निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के लिए सोने की खरीदारी करना पसंद किया। 2018 में डॉलर इंडेक्स को 90 के स्तर पर सपोर्ट मिला और 97 के स्तर तक तेजी से रिकवरी हुई।
घरेलू बाजार में रुपये के 74.64 के निचले स्तर तक कमजोर होने से सोने की कीमतों में 2016 के बाद लगातार तीसरे वर्ष तेजी जारी रही। एमसीएक्स में सोने की कीमतों को 32200-32300 के दायरे में प्रतिरोध रहा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2018 में बेंचमार्क ब्याज दरों में चार बार 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की। फेड ने दिसंबर 2018 में ब्याज दरों को बढ़ा कर 2.25-2.50% के दायरे में कर दिया है। हाल ही में जारी आर्थिक अनुमान के अनुसार केन्द्रीय बैंक 2019 में भी दो बार और 2020 में कम से कम एक बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। इस तरह 2020 और 2021 के अंत तक के ब्याज दरों के 3.1% तक पहुँच जाने का अनुमान है। फेड द्वारा दिसंबर 2015 में मॉनिटरी पॉलिसी को सामान्य करना शुरू करने के बाद से दिसंबर 2018 में नौवीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।
अमेरिकी रोजगार में मजबूती बरकरार रहने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण फेड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की। सोने की कीमतें ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील होती हैं, क्योंकि अधिक ब्याज दरों के कारण डॉलर मजबूत होता है। अमेरिकी बेरोजगारी कम होकर 3.7% रह गयी है, जो 1960 के बाद सबसे निचला स्तर है और मुद्रास्फीति फेड के लक्ष्य 2% के नजदीक है।
लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति कुछ आशंकाओं की ओर संकेत कर रही हैं, जो 2019 में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए एक अहम कारक हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने वैश्विक वृद्धि के अनुमान को कम करके 3.7% कर दिया है, क्योंकि अमेरिका और व्यापारिक सहयोगियों के बीच व्यापार को लेकर तनाव ने विश्व स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार विश्व की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में धीमेपन की आशंका से विश्व स्तर पर जोखिमों में अचानक ही बढ़ोतरी हो सकती है।
इटली के बजट संकट के बीच निवेश मांग और सुरक्षित निवेश के लिए खरीदारी में वृद्धि से 2019 में सोने की कीमतों को मदद मिल सकती है। ब्रेक्जिट और इटली के विवादास्पद बजट से 2019 में यूरो जोन में वित्तीय संकट बढ़ सकता है। इटली ने अपनी व्यय योजनाओं, जिसमें 2019 के लिए 2.4% के बजट घाटे का लक्ष्य शामिल है, से यूरो जोन मंदी की ओर चला गया है और यूरो करेंसी में बेचेनी देखी जा रही है। उधर आभूषण की कम कीमतों के कारण भारत और चीन में इसकी मांग में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। पश्चिमी देशों, सऊदी अरब और ईरान के बीच बढ़ते सामरिक तनाव के कारण सोने की कीमतों को मदद मिली है। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि ईरान ने कहा है कि अफगानिस्तान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और फारस की खाड़ी में स्थित अमेरिका लड़ाकू वाहन उसकी मिसाइलों के दायरे में है।
2019 में पूरे वर्ष सोने के निवेशक उहापोह की स्थिति में रह सकते हैं। डॉलर के कारोबार, 2019 में फेड की मॉनिटरी पॉलिसी, फिजिकल एवं निवेश माँग, केन्द्रीय बैंकों की खरीदारी, इक्विटी बाजारों का प्रदर्शन एवं सामरिक तनावों से कीमतों को दिशा मिल सकती है। सोने के कारोबार में करेंसी बदलाव की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। 2018 में रुपये के वर्ष के निचले स्तर से लगभग 17% से अधिक की तेज गिरावट के बाद 2019 में थोड़ी मजबूती दर्ज की जा सकती है। यदि रुपये में 67-66 तक मजबूती दर्ज की जाती है तो भारतीय बाजार में सोने की कीमतों में बढ़त सीमित रह सकती है। यदि 2019 के आम चुनावों के परिणाम आश्चर्यजनक होते है तो रुपये में काफी अधिक अस्थिरता देखी जा सकती है। इसके अतिरिक्त कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव के साथ चालू खाते के घाटे से भी रुपये का कारोबार प्रभावित होगा। 2019 में एमसीएक्स में सोने की कीमतें 28,000-34,000 रुपये और कॉमेक्स में 1,150-1,380 डॉलर के दायरे में रह सकती हैं। (शेयर मंथन, 11 जनवरी 2019)