केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office) यानी सीएसओ आज वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी वृद्धि के अग्रिम अनुमान जारी करेगा।
कोरोना वायरस (Coronavirus) के फैलाव से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से निबटने के लिए उठाये जा रहे कदमों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत के विकास दर के अनुमान में कमी कर दी है।
अक्टूबर 2022 में खुदरा महँगाई घट कर तीन महीने के निचले स्तर पर 6.77% रही है। वहीं थोक महँगाई लगातार 18 महीनों तक दो अंकों में रहने के बाद अक्टूबर में घट कर 8.39% पर आयी है।
जीडीपी के आँकड़ों को लेकर भारतीय शेयर में जिस तरह की हिचक थी, वो अब नहीं रही है। महँगाई का मसला भी अब सिमटने लगा है। अब यहाँ से बाजार की चाल इस बात से तय होगी कि अर्थव्यवस्था की चाल कैसी रहती है।
क्रिसिल (CRISIL) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) के अनुमान में 20 आधार अंकों की कटौती की है।
जीडीपी वृद्धि के ताजा आँकड़ों के आने के बाद रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 2019-20 की सालाना विकास दर के लिए अपने अनुमानों में तीखी कटौती कर दी है।
मूडीज (Moody's) और क्रिसिल (CRISIL) के बाद अब इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) ने भी भारत की अनुमानित विकास दर में कटौती कर दी है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी विकास दर (GDP growth rate) के अपने अनुमान में और कटौती कर दी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल फिर से कुछ धीमी पड़ी है। मुख्य रूप से कृषि, निर्माण (कंस्ट्रक्शन) और खनन (माइनिंग) गतिविधियों में कमी दर्ज किये जाने के कारण विकास दर अपेक्षाकृत धीमी पड़ी है।
वैभव अग्रवालरिसर्च प्रमुख, एंजेल ब्रोकिंगआज जीडीपी (GDP) के जो आँकड़े सामने आये हैं, वे साफ तौर पर विमुद्रीकरण या नोटबंदी (demonetisation) के असर को दर्शाते हैं।
2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में करीब 24% की गिरावट दर्ज होने के बाद यह सवाल सबसे अहम है कि आगे अर्थव्यवस्था को सँभालने के लिए किस तरह के कदम उठाये जाने जरूरी हैं।
तिमाही दर तिमाही आधार पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की विकास दर में गिरावट आयी है।
भारत की आर्थिक विकास दिसंबर 2022 को खत्म हुई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में घटकर 4.4% पर आ गयी। इसे दूसरी तिमाही में 6.3% के मुकाबले बड़ी गिरावट माना जा रहा है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर तिमाही के लिए 4.6% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। एक अन्य रिपोर्ट में के-आकार की रिकवरी की वजह से औद्योगिक विकास की रफ्तार में कमी आने की भी आशंका जतायी गयी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय या एनएसओ (NSO) ने दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी (GDP) वृद्धि का आँकड़ा जारी कर दिया है, जिसके मुताबिक जुलाई-सितंबर 2021 के दौरान 8.4% जीडीपी वृद्धि दर्ज की गयी।
वित्त-वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर महीनों के दौरान भारत की विकास दर या जीडीपी वृद्धि दर घट कर 6.3% पर आ गयी है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने आज दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आँकड़े जारी किये।
आरबीआई (RBI) की ओर से जारी किये गये ताजा आँकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) या सीएडी बढ़ कर 1.13 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
सरकार ने बुधवार (31 मई 2023) को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.2% रही और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर चौथी तिमाही में 6.1% रही। जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि पिछली दो तिमाहियों में गिरावट के बाद बढ़ी है। तीसरी (अक्टूबर-दिसंबर) तिमाही में 4.5% की वृद्धि देखी गई। चौथी तिमाही का अनुमान एक साल पहले की समान अवधि में दर्ज 4% की वृद्धि दर को पीछे छोड़ देता है।
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