दिल्ली-एनसीआर कार्यालय रियल्टी बाजार की कहानी

दिल्ली-एनसीआर में करीब एक-तिहाई कार्यालय खाली पड़े हैं।

ऐसे में, जब कार्यालय बाजार में निरंतर विकास की गति दिख रही है और नये व्यापार के आत्मविश्वास से भविष्य में कॉर्पोरेट विस्तार और विकास को समर्थन मिल रहा है तो ऐसे में शहर-स्तरीय कार्यालय रिक्तियों पर बात करना स्वभाविक है। जेएलएल द्वारा हाल ही में जारी किये आँकड़ों में बताया है कि बैंगलोर और पुणे जैसे कार्यालय बाजारों में रिक्ति का स्तर इकाई अंक तक गिर गया है, जिससे तत्काल कार्यलयों की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष की स्थिति पैदा हो गयी है।
इस मामले में जबकि मुंबई में रिक्ति स्तर 20% से थोड़ा ही अधिक है, दिल्ली-एनसआर में यह आँकड़ा 32% के आसपास है। दूसरे शब्दों में यहाँ ग्रेड-ए के एक-तिहाई कार्यालय खाली पड़े हुए हैं। यह आँकड़े शहरीय स्तर पर खाली भवनों की छवियों की भी तरफ इशारा करती है। दिल्ली-एनसीआर अच्छी तरह से स्थापित उप-बाजार और कार्यालय क्षेत्र में एक मजबूत कार्यालय बाजार है, जिसमें गुड़गाँव और नोएडा प्रमुख हैं।
इस संबंध में रिक्तियों का विश्लेषण करने के लिए प्रासंगिक स्टॉक/आपूर्ति के सिद्धांत को समझना जरूरी है। अच्छे डिजाइन और दक्षता के मापदंडों की विशेषता के अलावा संबंधित शहर केन्द्रों में मशहूर डेवलपर्स की परियोजनाएँ खरीदारों/किरायेदारों के बीच अधिक प्रासांगिक रहती हैं। खराब और पुराने डिजाइन और दूर स्थित इमारतों की ओर खरीदारों/किरायेदारों का रुझान कम होता है। जैसे मानेसर, ग्रेटर नोएडा और एनएच-8 के विस्तरित हिस्से में काफी खाली कार्यालय परियोजनाएँ हैं। इन परियोजनाओं की तरफ सबसे कम खरीदारों का रुझान होता है। यहाँ तक कि इन कार्यलयों में से कुछ अपने पुराने किरायेदारों को रोकने के लिए भी संघर्षरत हैं।
गुड़गांव में डीएलएफ साइबर सिटी के मुख्य कार्यालय क्षेत्र में वर्तमान में सिर्फ 5-8% रिक्ति है, जबकि नोएडा और गुड़गाँव में गुणवत्ता वाली परियोजनाएँ सीमित रिक्तिओं के साथ वर्तमान में पूरी क्षमता से चल रही हैं।
प्रमुख परियोजनाओं में कुछ संरचनात्मक रिक्ति में फैक्टरिंग, जिन्हें लेकर खरीदारों के बीच बातचीत जारी है और इन्हें जल्द ही कोई खरीदार/किरायेदार मिलने की संभावना है, रिक्ति में 100-150 आधार अंकों की गिरावट आयी है। खरीदारों और किरायेदारों की माँग का ध्रुवीकरण एक तथ्य है जो भारत के कई कार्यालय बाजारों में देखने को मिल जाता है। ऐसे में बंद केंद्र स्थानों में वाणिज्यिक संपत्ति के सृजन के अलावा पुरानी, खराब डिजाइन और स्तरीय-शीर्षक परियोजनाओं को कम ही खरीदार और किरायेदार मिलेंगे।