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जायडस लाइफसाइंस ने नोवेल ड्रग Desidustat के लिए पांचवे चरण का ट्रायल शुरू किया है। इस दवा का ट्रायल वैसे मरीजों पर किया जा रहा है जो किडनी के क्रोनिक बीमारी से ग्रसित हैं और इसके कारण उन्हें एनीमिया भी हो रखा है।
इस दवा के ट्रायल के लिए भारत में किडनी की क्रोनिक बीमारी के लिए 1004 मरीज इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाएंगे। इसमें से 502 ऐसे मरीज होंगे जो डायलिसिस पर निर्भर हैं। वहीं 502 मरीज ऐसे हैं तो डायलिसिस पर निर्भर नहीं हैं लेकिन एनीमिया से ग्रसित हैं। Desidustat दवा के सुरक्षा का आंकलन किया जाएगा। साथ ही मार्केटिंग के बाद सर्विलांस का अध्ययन किया जाएगा। यह आंकलन 52 हफ्ते के लिए किया जाएगा। इसके अलावा हीमोग्लोबिन के स्तर में बदलाव, लिपिड प्रोफाइल वजन और सिरम हेप्सिडिन का भी अध्ययन किया जाएगा। कंपनी के मुताबिक इसके तहत लेबोरेटरी से जुड़े मानक का भी अध्ययन किया जाएगा। जायडस के मुताबिक Desidustat दवा की बिक्री Oxemia ट्रेडमार्क के तहत किया जाएगा। इस दवा को भारत में मंजूरी मिली हुई है। यह दवा वैसे मरीजों को दी जाती हैं जो किडनी के क्रोनिक बीमारी से ग्रसित हैं।हालाकि ध्यान देने वाली बात यह है कि इस दवा को लेने से पहले नेफ्रोलॉजिस्ट या आंतरिक मेडिसिन के विशेषज्ञ से राय जरुर लें। इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल का अध्ययन किडनी के क्रोनिक बीमारी से ग्रसित 1200 मरीजों पर किया गया है। लैंसेट के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 2040 तक सबसे ज्यादा मौत सीकेडी (CKD) क्रोनिक किडनी डिजिज से होने का अनुमान लगाया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 11.5 करोड़, चीन में 13.2 करोड़, अमेरिका में 3.8 करोड़, जापान में 2.1 करोड़ और पश्चिम यूरोप में 4.1 करोड़ लोग सीकेडी से ग्रसित हैं।
(शेयर मंथन 1 सितंबर, 2022)