मार्जिंस पर 90% पूँजी इस्तेमाल होने की स्थिति में कारोबारी जोखिन प्रबंधन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए सदस्यों को अनिवार्य रूप से रिस्क रिडक्शन मोड (Risk Reduction Mode) में रखा जायेगा।
एनएसई (NSE) ने परिपत्र जारी करके यह जानकारी दी है। नया तंत्र सोमवार 17 दिसंबर से प्रभाव में आयेगा।
हालाँकि मार्जिंस पर उपयोग की गयी पूँजी के 85% तक घटने की स्थिति में शेयर ब्रोकर को फिर से सामान्य जोखिम प्रबंधन मोड में डाल दिया जायेगा।
एनएसई के परिपत्र के मुताबिक रिस्क रिडक्शन मोड में जाने पर ब्रोकर के सभी गैर-निष्पादित ऑर्डर रद्द कर दिये जायेंगे। मगर ब्रोकरों द्वारा खुले सौदों (Open Positions) को घटाने के लिए नये ऑर्डर स्वीकार किये जायेंगे।
इसके अलावा वे ऑर्डर जिनसे ब्रोकरों के खुले सौदों में इजाफा हो, उनकी मार्जिन की पर्याप्तता के लिए जाँच की जायेगी और मार्जिन की पर्याप्तता को पूरा न करने वाले ऑर्डर खारिज कर दिये जायेंगे।
बाजार की भाषा में पूरे या ऑर्डर के कुछ हिस्से को तुरंत निष्पादित करने की आवश्यकता को एक तत्काल या रद्द ऑर्डर (आईओसी) कहा जाता है और उस ऑर्डर के किसी भी पूरे न हुए सौदे को रद्द कर दिया जाता है। (शेयर मंथन, 14 दिसंबर 2018)