स्मॉलकैप और मिडकैप निवेश में निवेश के अवसर और जोखिम क्या है? जानें विशेषज्ञ की राय

भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ वर्षों से स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों का आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। निवेशक बड़ी कंपनियों की तुलना में इन छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों में ज्यादा रिटर्न की संभावना देखते हैं। यही कारण है कि जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे इन कंपनियों के लिए नए अवसर भी बन रहे हैं।

 बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार का कहना है कि मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स दिलचस्प पैटर्न बन रहा है। मिडकैप इंडेक्स में 54,000 तक की रैली संभव है, लेकिन वहां से डबल टॉप बनने और 47,000 तक रीटेस्ट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। लंबी अवधि में हालांकि रिवर्स हेड एंड शोल्डर का पैटर्न FY27 तक अच्छे लक्ष्यों की ओर इशारा करता है। 

स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों की सबसे बड़ी ताक़त इनकी तेज़ी से बदलने और बाजार की मांग के अनुसार ढलने की क्षमता है। जहां बड़ी कंपनियां नई रणनीति अपनाने में समय लगाती हैं, वहीं छोटी कंपनियां जल्दी निर्णय लेकर आगे बढ़ जाती हैं। यही कारण है कि टेक्नोलॉजी, फार्मा और उपभोक्ता सामान के क्षेत्र में कई स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों ने हाल के वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है।

हालांकि, इसके साथ जोखिम भी उतने ही बड़े हैं। छोटे आकार की वजह से इन कंपनियों पर कर्ज का दबाव ज्यादा होता है और बाजार में मंदी आने पर इनका असर दोगुना दिखता है। कई बार इन कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव इतना ज्यादा होता है कि नए निवेशक घबरा जाते हैं। इसलिए विशेषज्ञ हमेशा सलाह देते हैं कि स्मॉलकैप और मिडकैप में निवेश लंबी अवधि और धैर्य के साथ करना चाहिए।

(शेयर मंथन, 21 अगस्त 2025)

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