रिलायंस म्यूचुअल फंड (Reliance Mutual Fund) से रिलायंस बाहर, क्या करें म्यूचुअल फंड निवेशक

अनिल अंबानी समूह (Anil Ambani Group) की कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) ने पिछले दिनों जापान की बीमा कंपनी निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस (Nippon Life Insurance) या एनएलआई के साथ एक समझौता कर लिया।

समझौते के तहत एनएलआई रिलायंस म्यूचुअल फंड (Reliance Mutual Fund) को चलाने वाली रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Reliance Nippon Life Asset Management Company) या आरएनएएम में अपनी पूरी हिस्सेदारी अपने इस जापानी साझेदार को बेच देगी। इस समझौते के तहत आरएनएएम में निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस की हिस्सेदारी बढ़ कर 75% हो जायेगी। बाजार नियामक सेबी (SEBI) के अधिग्रहण नियमों के तहत आगे बढ़ते हुए निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस 230 रुपये प्रति शेयर के भाव से खुला प्रस्ताव (ओपन ऑफर) लायेगी। ओपन ऑफर के लिए पेश यह कीमत इस घोषणा के समय आरएनएएम के शेयर के पिछले 60 दिनों के भाव के औसत से 15% अधिक है।
यह समझौता म्यूचुअल फंड कारोबार से रिलायंस कैपिटल की विदाई पर मुहर लगा देगा। सवाल यह है कि इस समझौते से रिलायंस कैपिटल को क्या मिलने वाला है? दरअसल समझौते के तहत रिलायंस कैपिटल द्वारा आरएनएएम में अपनी सारी हिस्सेदारी बेचने से रिलायंस कैपिटल को लगभग 6,000 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। इस राशि का इस्तेमाल यह अपनी उधारी चुकाने में करेगी। समूह के मुखिया अनिल अंबानी (Anil Ambani) ने स्पष्ट किया कि इस समझौते और इस तरह के कई अन्य समझौतों के जरिये उनकी योजना रिलायंस कैपिटल के मौजूदा कर्ज को इसी वित्तीय वर्ष में 50% से अधिक घटा देने की है।
जहाँ तक आरएनएएम के भविष्य का सवाल है, इस समझौते के बाद आरएनएएम की एकमात्र प्रमोटर निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस बन जायेगी। निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस जापान की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनियों में से एक है। यह कुल 700 अरब डॉलर से अधिक संपदा का प्रबंधन करती है। अगर जापान की निजी क्षेत्र की कंपनियों की बात करें, तो जापान के बीमा बाजार में इसकी बाजार हिस्सेदारी सबसे अधिक है। मौजूदा प्रबंधन के बदलाव के सवालों पर निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस ने यह आश्वस्त किया है कि भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग की पाँचवी सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) आरएनएएम में हिस्सेदारी बढ़ाने के बाद भी वह कंपनी में किसी तरह का संगठनात्मक और ढाँचागत बदलाव नहीं करेगी। वह न तो आरएनएएम के मौजूदा प्रबंधन में कोई बदलाव करेगी और न ही इसके फंड मैनेजरों में।
निप्पॉन लाइफ के डायरेक्टर और मैनेजिंग एक्जिक्यूटिव ऑफिसर यूताका इदेगूची ने एक बयान में कहा है कि आरएनएएम के वर्तमान शेयरधारक के तौर पर हमें इस बात का पूर्ण विश्वास है कि कंपनी की मौजूदा प्रबंधन टीम इस यात्रा को आगे बढ़ाना जारी रखेगी, जो कई साल पहले आरंभ की गयी थी। आरएनएएम के सीईओ और कार्यकारी निदेशक संदीप सिक्का का कहना कि शेयरधारक के तौर पर निप्पॉन लाइफ काफी मददगार रही है और यह समझौता रणनीति की निरंतरता सुनिश्चित करता दिख रहा है।
इस समझौते के बाद बाजार और निवेशकों की खास नजर रहेगी रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी की प्रबंधन अधीन संपदा यानी एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) और इसकी योजनाओं के प्रदर्शन पर। वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी के एयूएम में 4.6% की गिरावट दर्ज की गयी थी। जानकारों का मानना है कि निप्पॉन लाइफ द्वारा कंपनी पर विश्वास जताते हुए इसमें हिस्सेदारी बढ़ाने के बाद इस पर एचएनआई और संस्थागत निवेशकों का भरोसा बढ़ने की उम्मीद है। इस साल कंपनी द्वारा अच्छे भविष्य की ओर आगे बढ़ते हुए भारतीय म्यूचुअल फंड कारोबार के फलक पर अपनी स्थिति बेहतर किये जाने की संभावना है।
सवाल यह है कि कंपनी की योजनाओं के मौजूदा निवेशकों को इस बदलाव को किस तरह देखना चाहिए? सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर और सहायक डॉट कॉम (Sahayak.com) के संस्थापक अनिल कौल के मुताबिक चूँकि निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मौजूदा प्रबंधन और योजनाओं के फंड मैनेजरों में कोई बदलाव नहीं कर रहे, ऐसे में निवेशकों को परेशान होने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। जब फंड मैनेजरों में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा, तो फिर योजनाओं के प्रदर्शन में निरंतरता बनी रहने की उम्मीद है। कौल बताते हैं कि इन दिनों रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी की योजनाओं के निवेशकों की पूछताछ जरूर बढ़ गयी है कि आगे इस कंपनी में क्या होने वाला है। लेकिन कौल साथ ही यह भी जोड़ते हैं कि म्यूचुअल फंड कारोबार का नियंत्रण पूँजी बाजार नियामक संस्था सेबी के हाथों में है, जिसने कारोबार के परिचालन की ऐसी सुचारू व्यवस्था बना कर रखी है, जिससे निवेशकों के हितों पर कोई आँच न आये।
जहाँ तक नये निवेशकों का सवाल है वे अपनी पूँजी को कंपनी की योजनाओं में लगाने से पहले इस बात पर ध्यान देंगे कि कंपनी की योजनाओं का बाकी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों की तुलनात्मक योजनाओं के मुकाबले प्रदर्शन कैसा है? कौल कहते हैं कि देश में आम चुनाव समाप्त हो चुके हैं और इसके साथ ही अनिश्चितता भी ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि म्यूचुअल फंडों में पूँजी प्रवाह की रफ्तार बीते कुछ महीनों के मुकाबले बढ़ सकती है। इसका फायदा अन्य एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के साथ ही साथ रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी को भी होगा। (शेयर मंथन, 04 जून 2019)