चांदी इस समय पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। दाम 2 लाख रुपये के आसपास पहुंच चुके हैं और यह तेजी इतनी कम समय में आई है कि खुद बाजार के अनुभवी लोगों को भी हैरानी हो रही है।
कमोडिटी विशेषज्ञ अनुज गुप्ता कहते है कि चांदी कोई नया प्रोडक्ट नहीं है। न यह किसी आईपीओ की तरह अचानक आई है, न बिटकॉइन जैसी कोई नई खोज है। चांदी सदियों से इस्तेमाल में है। घरों में, गहनों में, रोजमर्रा की जरूरतों में। इसके बावजूद इतना जबरदस्त रिटर्न मिलना यह दिखाता है कि अगर निवेश सही दिशा में और सही समय पर किया जाए, तो पारंपरिक एसेट्स भी असाधारण प्रदर्शन कर सकते हैं। इसी तरह सोने ने भी करीब 70% से ज्यादा का रिटर्न दिया है, जो अपने आप में बड़ी बात है।
सबसे बड़ा कारण चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड है। पिछले 10 सालों में चांदी की मांग करीब 15% बढ़ी है, जबकि इसकी सप्लाई 4–5% तक घट गई है। यानी एक ऐसा मेटल, जिसकी उपलब्धता कम हो रही है और जरूरत लगातार बढ़ती जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स, ईवी, सोलर पैनल, बैटरी, मोबाइल फोन, टीवी, लगभग हर आधुनिक तकनीक में चांदी का इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि यह बिजली का बेहतरीन कंडक्टर है।
जो निवेशक एक साल के नजरिए से या 2026 को ध्यान में रखकर चांदी में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए सबसे जरूरी बात यह समझना है कि इतनी तेज़ तेजी के बाद करेक्शन आना स्वाभाविक है। 15 से 20% तक की गिरावट कभी भी देखने को मिल सकती है, जैसा दिवाली के आसपास हुआ भी था। ऐसे करेक्शन से घबराने की जरूरत नहीं है।
(शेयर मंथन, 20 दिसंबर 2025)
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