भारत की अग्रणी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया (Coal India) में सरकार की 10% हिस्सेदारी का विनिवेश (Disinvestment) करने की औपचारिक घोषणा कर दी गयी है।
बुधवार को केंद्र सरकार में कोयला और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कैबिनेट के फैसले की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने कोल इंडिया के विनिवेश को मंजूरी दी। इसके तहत कोल इंडिया में भारत सरकार के 63,16,36,440 शेयर घरेलू बाजार में सार्वजनिक निर्गम (पब्लिक इश्यू) के जरिये बेचे जायेंगे।
इस समय कोल इंडिया में भारत सरकार की हिस्सेदारी 79.65% है। हालाँकि सीसीईए के सितंबर 2014 के निर्णय के अनुसार कोल इंडिया के कर्मचारियों को 1% इक्विटी समायोजन के बाद कोल इंडिया में भारत सरकार की हिस्सेदारी 78.65% है। लिहाजा विनिवेश के तहत 10% शेयरों को बेचने के बाद सरकार की हिस्सेदारी 68.65% रह जायेगी। इस समय कंपनी में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 9.04% और घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी 8.44% है।
इससे पहले सरकार ने साल 2010 में आईपीओ के जरिये 10% शेयरों के विनिवेश से 15,000 करोड़ रुपये और फिर जनवरी 2015 में ओएफएस के जरिये 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम हासिल की थी।
मंत्रिमंडल के इस फैसले के बाद शेयर बाजार में कोल इंडिया के शेयर में काफी उतार-चढ़ाव दिखा। इस घोषणा से पहले कोल इंडिया का शेयर हरे निशान में 334-336 रुपये के बीच चल रहा था, लेकिन यह खबर आते ही एकदम से गोता लगा कर यह 327.95 रुपये के निचले स्तर तक फिसल गया। मगर जल्दी ही यह वापस सँभल भी गया। अंत में कोल इंडिया का शेयर बीएसई में पिछले बंद भाव से 2.75 रुपये या 0.83% चढ़ कर 334.95 पर बंद हुआ। (शेयर मंथन, 18 नवंबर 2015)