एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट के आईपीओ में करें आवेदन : एंजेल ब्रोकिंग

ब्रोकिंग फर्म एंजेल ब्रोकिंग (Angel Broking) ने प्रमुख म्यूचुअल फंड कंपनी एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (HDFC Asset Management Company) के आईपीओ (IPO) में आवेदन करने की सलाह दी है।

यह आईपीओ 25 जुलाई 2018 को खुलेगा और 27 जुलाई 2018 को बंद होगा। इस आईपीओ में 5 रुपये अंकित मूल्य वाले शेयर जारी किये जायेंगे, जिनके लिए बोली लगाने का दायरा 1,095-1,100 रुपये का है। बोली के ऊपरी स्तर पर इस इश्यू का आकाल 2,800 करोड़ रुपये का होगा। इस आईपीओ में आवेदन के लिए एक लॉट का आकार 13 शेयरों का है।
एचडीएफसी एएमसी (HDFC AMC) का गठन 1999 में हुआ था। इसकी प्रवर्तक (प्रमोटर) कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड (HDFC Ltd.) है। इसमें साल 2001 में स्टैंडर्ड लाइफ इन्वेस्टमेंट्स ने 26% हिस्सेदारी खरीदी थी। इस इश्यू से पहले एचडीएफसी एएमसी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 95% है, जो इश्यू के बाद घट कर 82.9% रह जायेगी।
एंजेल ब्रोकिंग ने इस आईपीओ पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह सबसे मुनाफेदार एएमसी है और प्रबंधन अधीन संपदा (एयूएम) के मामले में देश में दूसरे स्थान पर है। इसकी करीब 14% बाजार हिस्सेदारी है। मार्च 2018 तक के अनुसार इसका कुल एयूएम 2.92 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें से 51% हिस्सा इक्विटी एयूएम का है। इसके एयूएम में वित्त-वर्ष 2013-18 के दौरान 25.5% वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हुई है।
एंजेल का मानना है कि म्यूचुअल फंड उद्योग के एयूएम में वृद्धि की काफी बड़ी संभावनाएँ हैं। बीते पाँच वर्षों (वित्त वर्ष 2014-18) में भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग का इक्विटी एयूएम 2 लाख करोड़ रुपये से 4.4 गुणा होकर 9 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच गया है। इस उद्योग का सकल एयूएम भी इस दौरान 8.2 लाख करोड़ रुपये से 2.5 गुणा होकर 21.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुँचा है। म्यूचुअल फंड उद्योग हर महीने एसआईपी (SIP) यानी सुनियोजित निवेश योजनाओं (Systematic Investment Plan) के जरिये लगभग 7,000 करोड़ रुपये की राशि जुटा रही है। एंजेल ब्रोकिंग के मुताबिक यह रुझान आने वाले वर्षों में जारी रहेगा, जिसके कई कारण हैं। एक तो काले धन पर हमला जारी है। दूसरे, मियादी जमाओं (एफडी) पर ब्याज दरें कम हैं। तीसरे, लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। चौथा कारण यह है कि अभी म्यूचुअल फंडों की पहुँच भारत में कम है। भारत में एयूएम/जीडीपी अनुपात 13% से कम है, जबकि विकसित देशों में यह अनुपात 50% से अधिक है। मूल्यांकन के मामले में एंजेल का कहना है कि आईपीओ की बोली की ऊपरी सीमा पर यह 2017-18 की ईपीएस के आधार पर 32 गुणा पीई अनुपात पर उपलब्ध है। (शेयर मंथन, 24 जुलाई 2018)